कोर्ट ने भी की खारिज – पास्को एक्ट सहित महिला अपराध से जुड़े मामलों के दुरुपयोग का एक और चौंकाने वाला मामला, पांच हजार रुपए का घोषित भी कर दिया था ईनाम
इंदौर। पास्को एक्ट, दहेज प्रताडऩा (posco act dowry harassment) सहित अन्य महिला अपराधों से जुड़े कानून के दुरुपयोग के कई मामले उजागर होते रहे हैं। उसी कड़ी में एक चौंकाने वाला मामला और सामने आया, जिसका शिकार प्राधिकरण का सीनियर इंजीनियर बन गया, जिसके खिलाफ 16 साल की नाबालिग लडक़ी ने गैंगरेप की झूठी एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई, जिसके चलते इंजीनियर को सालभर तक फरारी काटना पड़ी। बाद में लड़ली ने अपने बयान बदल दिए, जिसके चलते अभी कोर्ट ने इस प्रकरण में महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए दर्ज करवाई एफआईआर को जहां फर्जी बताया, वहीं इस पूरे मामले की जांच के आदेश भी दिए। इस मामले में इंजीनियर के दोस्त के खिलाफ भी लडक़ी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसे उसी वक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और कई महीने दोस्त को भी जेल में रहना पड़ा।
गत वर्ष 1 फरवरी 2022 को लसूडिय़ा थाने पर 16 साल की नाबालिग लडक़ी ने रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिसमें प्राधिकरण इंजीनियर दिनेश गोयल के साथ उनके मित्र अनिल सिंघल पर आरोप लगाया कि इन दोनों ने उसके साथ सामुहिक बलात्कार यानी गैंगरेप किया, जिसके चलते पुलिस ने धारा 376 (डीए) 323, 294, 506 के साथ पास्को एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर ली और लडक़ी द्वारा दी गई पेनड्राइव सहित अन्य फोटोग्राफ भी जब्त किए। लसूडिय़ा पुलिस ने अनिल सिंघल को तो उसी वक्त गिरफ्तार कर लिया और उसकी स्कोडा कार भी जब्त कर ली और फिर लडक़ी के बयान के आधार पर धारा 450 और 377 और बढ़ा दी गई। दूसरी तरफ प्राधिकरण इंजीनियर दिनेश गोयल को इस मामले में फरार होना पड़ा। वहीं कुछ दिनों बाद लडक़ी ने अपने जिस दोस्त अकरांत पिता मनोज बोयत के कहने पर यह एफआईआर दर्ज करवाई थी उस दोस्त के खिलाफ भी लडक़ी ने 18.05.2022 को लसूडिय़ा थाने पर ही पास्को एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज करवा दिया और लडक़ी ने अभियुक्त दिनेश गोयल को अपना पारिवारिक दोस्त बताते हुए उसे झूठा फंसाया जाना भी बताया, जिसके चलते पुलिस ने धारा 164 के तहत लडक़ी का फिर से बयान लिया। उसमें भी उसने दिनेश गोयल द्वारा कोई घटना कारित ना होना बताई। वहीं दूसरी तरफ पुलिस अनुसंधान में भी प्राधिकरण इंजीनियर दिनेश गोयल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले, जिसके चलते पुलिस ने अनुसंधान बंद करने हेतु न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर अभी कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया और विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट तथा पंद्रहवे अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती पावस श्रीवास्तव ने दिनेश गोयल के विरूद्ध दर्ज करवाई एफआईआर को रद्द करने की अनुमति देते हुए कहा कि लडक़ी के विरोधाभासी कथनों को दृष्टिगत रखते हुए यह क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की जाती है। इस तरह पास्को एक्ट में फंसाए गए प्राधिकरण इंजीनियर दिनेश गोयल को सालभर बाद मुक्ति मिली और पिछले हफ्ते उन्हें प्राधिकरण सीईओ ने फिर से नौकरी जॉइन करने की अनुमति भी दे दी।
बदनामी, निलंबन के साथ, सालभर काटना पड़ी फरारी
प्राधिकरण इंजीनियर को जहां सामाजिक, मानसिक और तमाम परेशानियां इस फर्जी एफआईआर के चलते झेलना पड़ी, वहीं मीडिया ने भी बढ़-चढक़र गैंगरेप के आरोपों में फंसे इंजीनियर के खिलाफ खबरें प्रकाशित की। बदनामी के साथ-साथ प्राधिकरण से निलंबन और लगभग एक साल तक दिनेश गोयल को फरार भी रहना पड़ा और परिवार के लोगों को भी कई तरह की प्रताडऩा बर्दाश्त करना पड़ी। इतना ही नहीं उस पर 5 हजार का इनाम तक पुलिस ने घोषित कर दिया था।
अनुसंधान में हुई त्रुटियों की जांच पुलिस आयुक्त को करने के आदेश भी
कोर्ट ने अभी अपने आदेश में जहां पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया, वहीं अनुसंधान के दौरान पुलिस ने कई त्रुटियां भी की, जिन पर कोर्ट ने अपने आदेश में ध्यान आकर्षित किया है। उसकी जांच करने के आदेश पुलिस आयुक्त को दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की जांच कर उचित कार्रवाई भी पुलिस आयुक्त द्वारा की जाए और उससे न्यायालय को भी अवगत कराया जाए और इस प्रकार की त्रुटि पुन: किसी अन्य प्रकरण में न दोहराई जाए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved