गंगा नदी को हिंदू धर्म तथा भारतीय संस्कृति (Indian tradition) में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। गंगा को पापनाशनी तथा मोक्षदायनी भी कहा गया है। मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान मात्र से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिसे ऋषि-मुनि वर्षों की तपस्या से अर्जित करते हैं। पौराणिक कथाओं (mythology) के अनुसार गंगा नदी ब्रह्मा के कमण्डल में विराजती हैं,भगवान विष्णु के पैरों से हो कर निकलती हैं तथा भगवान शिव (Lord Shiva) की जटाओं से होते हुये धरती पर अवतरित हुई हैं। गंगा जी के इसी अवतरण दिवस को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून, दिन रविवार (Sunday) को पड़ रहा है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2021 Puja Vidhi) पूजा विधि
इस दिन गंगा नदी में स्नान करना श्रेयस्कर होता है, किन्तु कोरोना वायरस महामारी संकट की वजह से इस साल श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी नहीं लगा पाएंगे। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव (Sun god) को अर्घ्य दें। इसके बाद ॐ श्री गंगे नमः का उच्चारण करते हुए मां गंगे का ध्यान कर अर्घ्य दें। इस समय निम्न मंत्र का जरूर स्मरण करें।
लेकिन मां गंगे की गति इतनी अधिक थी कि उसे पृथ्वी की ऊपरी सतह पर रोक पाना नामुमकिन था। तब भागीरथ ने मां गंगे की इच्छा पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। राजा भागीरथ(king bhagirath) की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में समा लिया था। इसके बाद भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से मां गंगे को धीमी गति के साथ पृथ्वी पर उतारे थे ।
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