संत नगर। उपनगर में इस बार मिट्टी की गणेश प्रतिमाए बिकने के लिए बाजार में सज गई है। हालांकि व्यापारियों ने इस बार केवल छोटी चोटी गणेश प्रतिमाए बेचने के अपनी दुकानों पर रखी है काली मिट्टी व गोबर से बनी इन प्रतिमाओं का मूल्य भी इस बार पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है। पीओपी से बनी प्रतिमाएं ज्यादा खर्चा आने पर महंगी बेची जाती है। इस बार कोरोनावायरस के दुष्परिणामों के चलते सार्वजनिक स्थलों पर गणेश झांकी आ जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है जिसके चलते लोग अपने अपने घरों में ही छोटी-छोटी गणेश की प्रतिमा रखकर भगवान श्री गणेश की पूजा कर इस महोत्सव को मनाएंगे।
उपनगर के कुछ हाई प्रोफाइल तथा बुद्धिजीवी परिवारों ने खुद ही मिट्टी की एगो फ्रेंडली प्रतिमा बनाकर पूजा आराधना हेतु विस्थापित करने का मन बना लिया है ताकि 11 दिवसीय पूजा आराधना के बाद प्रतिमा को घर में ही पानी की बाल्टी में विसर्जित कर उक्त जल को पेड़ पौधों में अर्पित किया जा सके। काली चिकनी मिट्टी व अखबारों के पेपर से बनी प्रतिमाएं आसानी से थोड़े से पानी में विसर्जित हो जाती हैं। इस बार स्थानीय मूर्तिकारों से ही व्यापारी गणेश प्रतिमाएं खरीद कर बेचने के लिए अपनी दुकानों पर सजाए हुए हैं। यहां पर 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की प्रतिमाएं दुकानों पर सजी हुई है।
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