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    महाकाल मंदिर के लिए इंदौर में बन रही गणेश प्रतिमा

  • June 27, 2022

    –  51 छोटी गणेश प्रतिमाओं से 21 फीट की गणेश प्रतिमा को आकार

    – शुरू हुआ बंगाली कारीगरों के हाथों प्रतिमाएं गढऩा, 6 स्थानों पर हो रहा काम

    इंदौर, नासेरा मंसूरी। कोरोना काल (Covid) की पाबंदियां हटते ही इस साल गणेशोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बंगाली चौराहे के आसपास कारखानों में बंगाल के कारीगरों ने एक महीने से काम शुरू कर दिया है। बड़ी प्रतिमाओं पर सबसे पहले काम किया जा रहा है। छोटी प्रतिमाओं का काम अगले महीने के आखिर में शुरू किया जाएगा। इंदौर में ही एक स्थान महाकाल मंदिर उज्जैन में स्थापित होने वाली 21 फीट की प्रतिमा भी बन रही है, जो 51 छोटी गणेश प्रतिमाओं से आकार लेगी।


    फिलहाल बंगाली चौराहे के आसपास 6 पंडालों के लिए गणेश प्रतिमा बनाने का काम किया जा रहा है। दो साल से कोरोना के चलते लगी पाबंदियों ने गणेश प्रतिमाओं की ऊंचाई की सीमा तय कर दी थी। इस साल पाबंदी नहीं है तो पहले की ही तरह ऑर्डर मिलने लगे हैं। बंगाल से आने वाले कारीगर भी एक महीने पहले ही इंदौर आ चुके हैं। इस साल अब तक अधिकतम 25 फीट की गणेश प्रतिमाएं बनाने के ऑर्डर इंदौर के अलावा आसपास के शहरों से मिले हैं। इंदौर के अतुल पाल बंगाली कारीगरों के साथ मिलकर महाकाल मंदिर उज्जैन के लिए गणेश प्रतिमा तैयार कर रहे हैं। ये प्रतिमा 21 फीट की बनेगी और 51 छोटी प्रतिमाओं से ही गणेश प्रतिमा को आकार दिया जाएगा। इसके अलावा यहां मंदसौर, कुक्षी और इंदौर के कुछ मोहल्लों के लिए भी 20 फीट से ज्यादा ऊंचाई की गणेश प्रतिमाएं बनना शुरू हो गई हैं। इन कारखानों में बनने वाली मिट्टी की प्रतिमाओं के लिए सामान भी बाहर से लाया जाता है। कानपुर से बांस, कोलकाता से शृंगार का सामान और गंगा की मिट्टी तो शिप्रा से पीली मिट्टी मंगाई जाती है।

    हर पंडाल में सैकड़ों प्रतिमाएं

    अतुल पाल बताते हैं कि इस साल छोटी-बड़ी हजार प्रतिमाएं बनाने का लक्ष्य है। सभी स्थानों पर अच्छी संख्या में प्रतिमाएं बनाई जाएंगी। उम्मीद है कि कोरोना काल के कारण प्रभावित हुआ कारोबार इस साल 50 से 60 लाख तक जाएगा। बंगाल से आए कारीगर भी इस साल उम्मीद लगाकर आए हैं। फिलहाल प्रतिमाओं पर मिट्टी का एक लेप लग चुका है और फिनिशिंग के लिए मिट्टी का एक लेप लगाना और बाकी है। जून के पहले हफ्ते से शुरू हुआ काम अगस्त के मध्य तक चलेगा। बंगाल से और भी कारीगर आएंगे।

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