उज्जैन। गणेशोत्सव समाप्ति के साथ श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहे हैं और प्राचीन उज्जैन शहर में श्राद्ध एवं तर्पण का विशेष महत्व है। देशभर से लोग यहाँ श्राद्ध करने आते हैं। कोरोना गाईड लाईन के कारण अधिक लोगों को अनुमति नहीं रहेगी। उज्जैन में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है तथा अगले 15 दिन शुभ कार्य भी नहीं होते हैं।
उज्जैन शहर में प्राचीन समय से ही शिप्रा नदी के घाटों पर श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व और वर्षों से यहाँ श्राद्ध में पूजन कराने के लिए देशभर से लोग आते रहे हंै। आज अनंत चतुर्दशी है और कल से 16 दिन का श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएगा। सोमवार से लोग अपने पूर्वजों के निमित्त पिंड दान और तर्पण करने गया कोठा तीर्थ, रामघाट तथा सिद्धवट पहुंचेंगे। कोरोना के कारण पिंडदान और तर्पण के कार्यक्रम में 6 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकेंगे। गया कोठा तीर्थ पर प्राचीन कुंड की सफाई नहीं हो पाई है।
उल्लेखनीय है कि कल से भादौ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएगा। इस बार यह पूरे 16 दिन का रहेगा। ग्रहों की गणना के अनुसार इस बार यह पर्व विशेष संयोग में आ रहा है। इस कारण अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान और तर्पण करने वाले लोगों के लिए यह पर्व शुभ फलदायी होगा। उज्जैन में श्राद्ध पक्ष में अंकपात मार्ग स्थित प्राचीन गया कोठा तीर्थ तथा यहां स्थित पौराणिक कुंड में पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष प्रावधान है। यहां पिछले दो साल से हाउसिंग बोर्ड द्वारा तीर्थ क्षेत्र का विकास कार्य किया जा रहा है। काम की धीमी गति के कारण यहां बनाए गए पौराणिक कुंड की सफाई नहीं हो पाई है। सिद्धवट पर भी कई विकास कार्य चल रहे हैं। इस कारण भी श्राद्धपक्ष मे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियां हो सकती है। रामघाट पर भी श्राद्ध कर्म कराए जाते हैं। यहां भी 16 दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इधर पुलिस प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन के कारण यह अनिवार्य किया है कि श्राद्ध और तर्पण क े कार्यक्रम में घाटों और तीर्थ स्थान पर 6 लोग से ज्यादा को बैठने की अनुमति नहीं रहेगी। एक परिवार के अधिकतम 6 लोग इसमें शामिल हो सकेंगे।
पंडे पुजारियों की मांग अधिक लोगों को पूजन की अनुमति दी जाए
कोरोना गाईड लाईन के अनुसार प्रशासन ने गयाकोठा, सिद्धवट और रामघाट पर तर्पण और अन्य पूजन कार्य के लिए 6 लोगों को आने की अनुमति दी है लेकिन पंडे-पुजारियों की मांग है कि इनकी संख्या अधिक की जाए क्योंकि वर्ष में 16 दिन ऐसे आते हैं जब लोग अपने पूर्वजों को तृप्त करने के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य क्रियाएँ करते हैं लेकिन यदि नियमों के तहत ऐसा कराया जाएगा तो लोग इससे वंचित रह जाएंगे। गत वर्ष भी ऐसे नियमों के चलते गया कोठा और सिद्धवट पर लोग श्राद्ध पक्ष में तर्पण आदि कार्य कराने से वंचित रह गए थे।
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