नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023) का त्योहार इस बार आने वाली 19 सितंबर को मनाया जाएगा. वैसे इसका शुभ मुहूर्त 18 सितंबर की दोपहर से शुरू हो जाएगा. भगवान गणेश (Lord Ganesha) को विघ्नहर्ता, बप्पा या गणपति के नाम से भी पुकारा जाता है. जब भी गणेश उत्सव आता है तब गणेश जी के मंदिरों (temples of ganesh ji)में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. मंदिरों में दर्शन और पूजा-पाठ (Darshan and worship) के लिए लोग पहुंचते हैं और इनमें चमत्कार तक देखने को मिलते हैं. गणेश उत्सव के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें अनोखा माना जाता है.
ये मंदिर राजस्थान की चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन रणथम्बोर नेशनल पार्क के नजदीक मौजूद है. इस मंदिर से एक खासियत जुड़ी हुई है. यहां दर्शन के लिए आने से पहले लोग गणेश जी को चिट्ठियां भेजते हैं. इन चिट्ठियों को खुद डाकिया पहुंचाता है और मनोकामना पूर्ण होने पर लोग यहां आकर पूजा-पाठ करते हैं. मंदिर का इतिहास करीब 800 साल पुराना है और ये पिंक सिटी जयपुर से कुछ किलोमीटर ही दूर है. दिल्ली से आप कार से यहां पहुंच सकते हैं. ट्रेन से जाने वाले जयपुर पहुंचकर यहां दूसरे साधन से पहुंच सकते हैं.
गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर: इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा एक इंसान के रूप में मौजूद है. राजस्थान के जयपुर की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवान गणेश की सूंड वाली प्रतिमा नहीं है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजस्थान के एक राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी. दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन, नई दिल्ली या पुरानी दिल्ली से जयपुर की ट्रेन आसानी से मिल जाएगी. जयपुर से कई साधन सवाई माधोपुर के लिए जाते हैं.
कनिपकम गणेश मंदिर, आंध्र प्रदेश: यहां बप्पा की मूर्ति पानी में मौजूद रहती है इसलिए यहां इन्हें पानी के देवता के रूप में भी पूजा जाता है. ऐसा भी देखा गया है कि यहां भगवान गणेश की मूर्ति का हर साल बढ़ रहा है. इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में बनाया गया था.
चिंतामणि गणेश मंदिर, इंदौर: इस मंदिर का इतिहास करीब 300 साल पुराना है. ये देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां गर्भगृह में एक साथ दो गणपति विराजित हैं. इसके अलावा इस मंदिर से एक अनूठी प्रथा भी जुड़ी हुई हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां हल्दी की गांठ चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और ये परंपरा काफी पुरानी भी है. इस मंदिर में भगवान गणेश के अलावा हनुमान जी, राम-सीता और लक्ष्मण जी की प्रतिमा भी मौजूद है.
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