अब गांधी हॉल में न प्रवचन न भजन होंगे… खान-पान से लेकर कारोबार की मंडी सजेगी
इंदौर। स्मार्ट सिटी के तहत गांधी हॉल को 9 करोड़ रुपए की लागत से संवारने के साथ वहां आसपास के हिस्सों में निर्माण कार्य भी किए गए हैं। अब गांधी हॉल को मात्र 50 लाख रु. सालाना में किराए पर दिया गया है, यानी निर्माण कार्य के लिए लगाए गए धन की वसूली में ही 18 साल लग जाएंगे। इन 18 सालों में फिर गांधी हॉल जीर्ण-शीर्ण हो जाएगा। गांधी हॉल के उपयोग के लिए भी मामूली शर्त रखी गई है, जिसके तहत गांधी हॉल में शादी-ब्याह के आयोजन तो नहीं होंगे, लेकिन एक्जीबिशन से लेकर अन्य सांस्कृतिक कार्यों के लिए किराए पर दिया जा सकेगा।
गांधी हॉल को किराए पर देने के लिए स्मार्ट सिटी ने मात्र 50 लाख रु. सालाना यानी करीब सवा 4 लाख रुपए महीने के टेंडर पर अपनी मोहर लगा दी है। जो गांधी हॉल कभी लोकतंत्र की मर्यादा, गांधी के प्रवचन और भजन, आजादी के गीतों के लिए बनाया गया था अब उस गांधी हॉल में कपड़ों की प्रदर्शनी से लेकर कारोबार की मंडी तक नजर आएगी। साथ ही वहां समीप की जमीन पर अब रेस्टोरेंट बनाया जा रहा है, जबकि वहां पहले बड़े स्तर की लायब्रेरी बनना थी।
बननी थी लायब्रेरी चलेगा रेस्टोरेंट…
गांधी हॉल के समीप ही खाली पड़ी जमीन पर स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारी वहां बड़े स्तर की लायब्रेरी बनाने की तैयारी में थे। इस मान से वहां शुरुआती दौर में निगम ने अपने स्तर पर काम शुरू किया था, लेकिन बाद में स्मार्ट सिटी की मद से काम कराया गया। मूल ढांचा लायब्रेरी के मान से तैयार किया गया था, लेकिन अब वहां गांधी हॉल का ठेका लेने वाली फर्म रेस्टोरेंट संचालित करेगी।
कांग्रेस के बाद आप पार्टी ने भी किया विरोध
कल ही कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजेश चौकसे ने गांधी हॉल को ठेके पर देने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसका विरोध जताया जाएगा। गांधी हॉल को करोड़ों रुपए खर्च कर संवारा गया है, उसे निजी हाथों में सौंपना गलत है। वहीं कल आप पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हेमंत जोशी ने भी गांधी हॉल को किराये पर देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यहां होने वाले आयोजन से सांस्कृतिक धरोहर खत्म हो जाएगी।
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