नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के अमेरिका में दिए एक बयान से विवाद पैदा हो गया है. दरअसल, राहुल गांधी ने वर्जिनिया में कहा कि भारत में आज इस बात की लड़ाई है कि सिख अपनी पगड़ी पहन सकता है या नहीं, वह गुरुद्वारा जा सकता है या नहीं. इसी बयान को लेकर राहुल गांधी की आलोचना हो रही है और उन पर सिख समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया जा रहा है.
बीजेपी प्रवक्ता मनजिंदर सिंह सिरसा ने राहुल गांधी के इस बयान की कड़ी निंदा की है. सिरसा ने कहा कि राहुल गांधी का इस तरह का बयान देना और सिखों के प्रति नफरत फैलाना कोई नई बात नहीं है. गांधी परिवार की सिखों से पुरानी नफरत है. उन्होंने कहा कि न तो हमारे गुरुद्वारे को, न ही हमारे ककारों को कोई हटा पाया है और न ही हटा पाएगा. ऐसा सपना अब्दाली ने भी देखा था, औरंगजेब ने भी देखा था और कांग्रेस ने भी देखा था, लेकिन कोई भी हटा नहीं पाया.
सिरसा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ऐसी बातें सिर्फ सत्ता पाने के लिए कर रहे हैं. सिरसा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ऐसे बयान उस समुदाय के खिलाफ दे रहे हैं, जिसके खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने 1984 में कत्लेआम मचाया था. राहुल गांधी अमेरिका में इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं ताकि उन्हें वहां से समर्थन मिल सके. वह सत्ता पाने के लिए देश को किसी भी हद तक बदनाम कर सकते हैं.
वहीं, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, राहुल गांधी के विदेश यात्रा में दिए बयान से ऐसा लगता है कि उन्हें सिख समुदाय के पगड़ी पहनने और कड़ा पहनने से आपत्ति है, जबकि मैं कहूंगा कि इस सरकार ने सिख समुदाय के लिए अच्छा काम किया है. मोदी सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है कि सिख समुदाय आजादी के बाद से सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करता है, मैं यह भी बताना चाहूंगा कि जब राहुल गांधी के परिवार की सरकार थी, उस समय सिख समुदाय बेहद असुरक्षित महसूस कर रहा था.
वर्जिनिया में अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा, ‘सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है. लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है, यह सतही है. लड़ाई इस बारे में है कि क्या एक सिख के रूप में आपको भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी, क्या एक सिख के रूप में उन्हें भारत में कड़ा पहनने की अनुमति दी जाएगी. क्या एक सिख गुरुद्वारा जाने में सक्षम होगा. यही लड़ाई है और यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है.’
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