नई दिल्ली (New Delhi)। अमेठी और रायबरेली (Amethi and Rae Bareli)की पहेली अब तक नहीं सुलझ सकी(could solve) है। कांग्रेस (Congress)की तरफ से उम्मीदवारों (candidates)की करीब 12 सूचियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन कहीं भी गांधी परिवार का गढ़ मानी जानी वाली उत्तर प्रदेश की इन दो सीटों का जिक्र नहीं है। खास बात है कि 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली पहली ही सूची में थे। सवाल बरकरार है कि क्या गांधी परिवार इन सीटों से किनारा कर लेगा या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से दावेदारी पेश करेंगे?
क्या कह रही है कांग्रेस?
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अब तय करने के लिए काफी समय है। अमेठी और रायबरेली में 5वें चरण में 20 मई को मतदान होगा और नामांकन की तारीख 3 मई है। खास बात है कि कांग्रेस महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव और वाराणसी से उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है, जहां 1 जून को वोटिंग होना है।
मीडिया के मुताबिक, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि गांधी भाई-बहन तय करेंगे कि उन्हें उत्तर प्रदेश से चुनावी मैदान में उतरना है या नहीं। अखबार से बातचीत में एक नेता ने कहा, ‘रविवार को I.N.D.I.A की रैली में प्रियंका की मौजूदगी संकेत दे रही है कि वह चुनाव लड़ सकती हैं। वह सक्रिय हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो वह रैली में नहीं होती जब सोनिया मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल शामिल हो रहे थे।’
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी का कहना है, ‘हो सकता है कि वे चुनाव न लड़ें। यह संकेत मुझे उनके करीबियों से मिल रहे हैं।’ कांग्रेस का एक वर्ग मानता है कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि गांधी भाई-बहन यूपी से चुनाव लड़ेंगे और सही समय पर फैसले का ऐलान किया जाएगा।
अखबार से बातचीत में एक नेता ने कहा, ‘राहुल का अमेठी से चुनाव नहीं लड़ना बहुत खराब राजनीतिक संदेश भेजेगा। मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि वह क्यों नहीं लड़ेंगे। अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार का नहीं लड़ना भाजपा को एक मुद्दा दे देगा कि यूपी में जीत का भरोसा नहीं था तो वे भाग गए।’ एक अन्य नेता का कहना है, ‘दोनों को प्रचार के लिए पूरे देश में घूमना है। वे अपने क्षेत्र से बंधे नहीं रहना चाहेंगे। अगर मुझे सही याद है, तो वे बीते दो सालों में अमेठी और रायबरेली नहीं गए हैं। वे सभी पहलुओं को देख रहे हैं।’
रिपोर्ट में दावा किया है कि, पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि वे चुनाव लड़ें या नहीं, लेकिन भाजपा को मुद्दा मिल जाएगा। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘अगर वे नहीं लड़ते हैं तो भाजपा कहेगी कि वे भाग गए। अगर वे लड़ते हैं, तो भाजपा कहेगी कि तीनों गांधी संसद में जाना चाहते हैं और ये सभी एक परिवार में है।’ खास बात है कि 2019 में राहुल ने वायनाड के साथ-साथ अमेठी से भी चुनाव लड़ा था। वहीं, सोनिया रायबरेली से मैदान में थीं।
कांग्रेस को यहां भी लग सकता है झटका
खास बात है कि अगर गांधी परिवार यूपी से चुनाव नहीं लड़ता है, तो इस धारणा को भी मजबूती मिल सकती है कि कांग्रेस दक्षिण की पार्टी बनती जा रही है। कांग्रेस की कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार है। इसके अलावा खुद राहुल और केसी वेणुगोपाल जैसे शीर्ष नेता केरल से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला INDIA गठबंधन के ही साथी लेफ्ट से होगा।
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