भोपाल। 22 अगस्त को 1 सितम्बर तक गणेश उत्सव धूमधाम से देशभर में मनाया जाएगा। भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी संवत्सर विक्रम संवत 2077 चतुर्थी तिथि इस साल 21 अगसत को रात्रि 11 बजकर 3 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 22 अगस्त शाम 7 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। इस बार गणपति महाराज की स्थापना हस्त नक्षत्र के साध्य योग में होगी। वहीं चंद्रदेव कन्या राशि में रहेंगे इस दिन भद्रा भी रहेगी। भद्रा का आरंभ सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि 7 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। हालांकि भद्रा को शुभ कार्यो के लिए अशुभ माना जाता है लेकिन विघ्न विनाशक गणेश जी की स्थापना भद्रा की वजह से प्रभावित नहीं होगी।
इस साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर सूर्य अपनी सिंह राशि में मंगल मेघ में गुरु धनु में शनि मकर राशि में रहेंगे। इन ग्रहों के योगों से गणेश उत्सव की शुरुआत भारत के लिए शुभ रहेगी। वहीं भारत व्यापार में उन्नाति करेगा। तथा में विश्व में भारत का वर्चस्व बढेगा। प्राकृतिक आपदा में कमी आएगी साथ ही देश की आमजनता के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। वहीं इस साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर भद्रा रहेगी। निर्णय सिंधु में पेज क्रमांक 43 पर भद्रा का विवरण हैं जिसके अनुसार भद्रा तीन प्रकार की होती हैं। जब चंद्रमा कर्क सिंह, कुंभ व मीन राशि में रहते हैं तो मृत्युलोक की भद्रा होती है। मेष वृषभ मिथुन वृश्चिक राशि में चंद्रदेव के रहने से स्वर्ग लोक की भद्रा रहती है। लेकिन जब कन्या, तुला धनु, मकर, राशि में चंद्रमा रहते हैं तो भद्रा पाताल लोक की होती है। शुक्लपक्ष में चतुर्थी और ग्यारस शास्त्र में भद्रा शुभ मानी गई है। वहीं कृष्ण पक्ष में तृतीया व दशमी शुभ मानी गई है। इसलिए गणेश चतुर्थी पर भद्रा का कोई गणपति की स्थापना पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा।
चतुर्थी पर चंद्रदेव के दर्शन निषेध, हस्त नक्षत्र में खरीदारी रहेगी शुभ
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन शस्त्रों में निषेध बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने वाले लोगों को झूठी चोरी एवं कलंक का आरोप लगता है। इसलिए लोग गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करते हैं। चंद्रमा दर्शन इस दिन रात्रि 9 बजकर 5 मिनट से 9 बजकर 25 मिनट तक नहीं करना है। वहीं हस्त नक्षत्र में खरीदारी करना शुभ है।
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