चैन्नई (Chennai)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने गगनयान मिशन को अंतिम रूप दे रहा है। इसरो ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी जल्द ही गगनयान (Gaganyaan) मिशन के लिए मानव रहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगी। भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना का परीक्षण 21 अक्टूबर को होने जा रहा है। इसरो ने एक बयान में कहा, “फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी कर ली गई है, जो क्रू एस्केप सिस्टम को प्रदर्शित करता है।” परीक्षण वाहन टीवी-डी1 इस मिशन के लिए विकसित एक रॉकेट है। पेलोड में क्रू मॉड्यूल
और क्रू एस्केप सिस्टम शामिल हैं
तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश सीमा पर एक पक्षी अभयारण्य, पुलिकट झील के पार श्रीहरिकोटा द्वीप की ओर ड्राइव करते हुए आप ध्यानमग्न हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही आप द्वीप पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में प्रवेश करेंगे, आप लोग का हुजूम अलग-अलग काम में जुटा है। यहां हजार से अधिक कर्मचारी हैं। वैज्ञानिक और इंजीनियर छोटे-छोटे कॉन्फ्रेंस रूम्स में झुंड में बैठते हैं। कुछ सिमुलेशन देखते हैं तो कुछ अन्य इमारतों और पहले लॉन्च पैड के बीच आते-जाते रहते हैं। जहां एक छोटी सी रॉकेट खड़ी है। वह शनिवार को सुबह 8 बजे उड़ान भरने के लिए तैयार है।
मौसम के अनुकूल होने की आस
शनिवार को प्रक्षेपण प्राधिकरण बोर्ड (एलएबी) शनिवार के मिशन के लिए अंतिम हरी झंडी देगा। एसडीएससी के निदेशक राजराजन ए ने कहा, ‘हम अंतिम जांच कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘मौसम अनुकूल रहने पर हम निर्धारित समय के अनुसार प्रक्षेपण करेंगे।’ उन्होंने बताया कि क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल के साथ विशेष परीक्षण वाहन को इकट्ठा किया गया है। सैकड़ों इंजीनियर ईंधन भरने (जो शुक्रवार को होगा) से पहले मॉडल का स्वास्थ्य जांच करने, जरूरी व्यवस्था करने और बारिश से सुरक्षा सुनिश्चित करने में व्यस्त हैं।
फुल टेस्ट की प्रक्रिया
उन्होंने बुधवार को मोबाइल टावर को लॉन्चपैड पर ले जाने वाली रॉकेट को ले जाने सहित फुल टेस्ट की प्रक्रिया भी पूरी की जबकि शुक्रवार को एक और पूर्वाभ्यास होना है। राजराजन ने कहा, ‘क्रू एस्केप सिस्टम नया है, इसलिए कई डिजाइनों की जांच करने की आवश्यकता है। यह पहला परीक्षण है जहां हम एक आपातकालीन परिस्थिति पैदा करके रियल टाइम में क्रू एस्केप सिस्टम की क्षमताओं की जांच करते हैं। इसमें पैराशूट की तैनाती और मॉड्यूल की सुरक्षित रिकवरी शामिल है।’
असली मिशन से पहले परीक्षणों का दौरा
इसरो वास्तविक मानवयुक्त मिशन से पहले कई और ऐसे परीक्षण करेगा। अब तक सभी एक्शन पहले लॉन्च पैड पर होते रहे, लेकिन गगनयान मिशन एसडीएससी में दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित होगा। सेंटर डायरेक्टर ने कहा, ‘हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए चौगुनी जांच प्रणाली है कि सब कुछ ठीक हो।’ अंतरिक्ष यात्रियों को लॉन्च वीइकल की ऊंचाई तक ले जाने के लिए एक क्रू इन्ग्रेस सिस्टम की शुरुआत करके संशोधन किए गए हैं। एसडीएससी ने एक क्रू एक्सेस प्लैटफॉर्म भी बनाया है, जहां से अंतरिक्ष यात्री एक फायर-प्रूफ बबल लिफ्ट के माध्यम से क्रू मॉड्यूल में प्रवेश करेंगे, जो तैयार है।
ऐसी चल रही है तैयारी
राजराजन ने बताया, ‘आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए हम एक जिप लाइन बनाएंगे जो एक टोकरी में अंतरिक्ष यात्रियों को लॉन्चपैड से 800 मीटर-1 किमी दूर ले जाएगी। एक बार सुरक्षित दूरी पर वो एक बबल लिफ्ट में बैठेंगे जो उन्हें एक बंकर में ले जाएगा। वो वहां लॉन्चपैड साफ होने तक लगभग सात घंटे सुरक्षित रूप से रह सकते हैं।’ क्रू एक्सेस प्लैटफॉर्म पर काम पूरा होने के साथ इसरो एक वाइट रूम पर काम कर रहा है जहां अंतरिक्ष यात्री क्रू मॉड्यूल में प्रवेश करने से पहले अपनी अंतिम तैयारी करेंगे। इसरो की अब तक की उपलब्धियों में चंद्रमा पर एक रोवर और मंगल ग्रह पर एक ऑर्बिटर भेजना शामिल है। गगनयान के साथ मिशन का उद्देश्य स्पेस में भेजे जाने वाले लोगों को सुरक्षित रूप से वापस लाना भी है।
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