लंदन। ब्रिटेन के कॉर्नवाल क्षेत्र में शुक्रवार से शुरू होने वाले 47वें जी-7 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और कोरोना वायरस महामारी सहित कई तरह के मुद्दों पर चर्चा होने के आसार है। यह शिखर सम्मेलन 13 जून तक चलेगा। यह शिखर सम्मेलन कार्बिस खाड़ी के कोर्निश समुद्र तटीय शहर में हो रहा है। इस सम्मेलन में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली और यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ के अध्यक्ष शामिल हैं। शिखर सम्मेलन में भारत, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टेलीकांफ्रेंस के माध्यम से इस शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
यह शिखर सम्मेलन शुक्रवार से रविवार (11 से 13 जून) तक चलेगा। लगभग दो वर्षों में यह पहला ऑफलाइन जी-7 शिखर सम्मेलन होगा। इस सम्मेलन का मुख्य एजेंडा कोरोना वायरस संकमण और इससे निपटने की चुनौतियां तथा रणनीतियां होगा। दुनिया भर में अब तक कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से 37 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा इस बैठक में कोरोना वैक्सीन और जलवायु परिवर्तन पर भी चर्चा होगी।
इसके अलावा शिखर सम्मेलन में आर्थिक सुधार, सतत विकास, व्यापार, हरित और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, सामाजिक समावेश और लिंगभेद के अंतर को खत्म करने जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है।
शिखर सम्मेलन में शामिल देश कोविड-19 टीकों तक समान रूप से पहुंच को बढ़ावा देने और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने सहयोगियों से कोविड-19 का वर्ष 2022 के अंत तक खात्मा करने के लिए पूरी दुनिया में टीकाकरण करने के लिए अपने सहयोगी देशों से आग्रह करने के लिए शिखर सम्मेलन में योजना बनाई है।
विदेश नीति के एजेंडे में रूस, बेलारूस, इथियोपिया, अफगानिस्तान, ईरान और लीबिया जैसे देशों के साथ संबंध सुदृढ बनाना भी शामिल है। रूस के संबंध में जर्मन के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि नॉर्ड स्ट्रीम-दो पाइपलाइन परियोजना, अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच विवाद बना हुआ है जिस पर इस शिखर सम्मेलन में चर्चा नहीं की जाएगी। शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के लिए द्विपक्षीय वार्ता आयोजित करने की भी उम्मीद है।
ब्रिटेन वर्ष 2021 में जी-7 की अध्यक्षता कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन में कोरोना वैश्विक महामारी से उबरने, मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को सुविधाजनक बनाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और पृथ्वी की जैव विविधता की सुरक्षा जैसे मुद्दे प्राथमिकता से उठाए जाएंगे।
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