नई दिल्ली। यूक्रेन संकट (Ukraine crisis) और अर्थव्यवस्था की चुनौतियों बीच हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) के साथ वह होटल भी दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रहा है, जहां आयोजन किया जा रहा है। जर्मनी के प्रसिद्ध श्लॉस एल्माऊ पैलेस (Germany’s famous Schloss Elmau Palace) में जिस जगह दुनियाभर के दिग्गज जुटे हैं, वहां न एसी (वातानुकूलन) की व्यवस्था है और न यहां कभी बेतहाशा भीड़ जुट सकती है।
तकरीबन 106 साल पहले बना श्लॉस एल्माऊ पैलेस खूबसूरत आल्पस की पहाड़ियों के बीच बसा है। यहां होटल में बैठकर दूर तक फैले घास के मैदान दिखाई देते हैं। जर्मनी-ऑस्ट्रिया सीमा पर यह म्यूनिख से महज 100 किलोमीटर दूर है। श्लॉस एल्माऊ, एक तरह से बड़े आयोजनों का अड्डा है। यहां हर साल दो सौ से भी ज्यादा इवेंट होते हैं। होटल के मुख्य हिस्से का नाम है- द हाइड अवे (छिपने की जगह)। परिसर में मेहमानों के लिए जगह-जगह छतरियां और बेंच हैं। इसके अलावा कई जगहें ऐसी भी हैं जहां समय गुजारते हुए आराम से दूसरों पर नजरें बनाए रख सकते हैं, लेकिन आपको कोई आसानी से नहीं देख पाएगा।
चार बातें जो इसे अलग बनाती हैं:
1. एसी नहीं एयर कूलिंग : इस होटल में आम कमरों के अलावा 47 विश्वस्तरीय प्रेसिडेंशियल सुइट हैं। यहां अधिकतर वीआईपी ही रुकते हैं लेकिन फिर भी एयर कंडीशनर नहीं लगे हैं। भले ही इस क्षेत्र में तापमान कम रहता हो लेकिन इतने बड़े स्तर के होटल में ऐसा बहुत दुर्लभ है। दरअसल, आर्किटेक्चर ऐसा बनाया गया है कि ठंडी पहाड़ी हवा के जरिए एयर कूलिंग सिस्टम काम करता है।
2. प्लास्टिक मुक्त : दार्शनिक जोहान्स मुलर और उनके विचारों की छाप इस होटल में दिखती है। उनके वंशजों ने भी पृथ्वी और प्रकृति के लिए नुकसानदायक चीजों को यहां अनुमति नहीं दी है। श्लॉस एल्माऊ पैलेस एक प्लास्टिक मुक्त परिसर है।
3. बेतहाशा भीड़ नहीं : इस होटल का एक खास नियम है। यहां एक बार में महज एक तिहाई कमरों को ही किराए पर दिया जाता है। यानी दो तिहाई होटल हमेशा खाली रहता है। इस वजह से यहां कभी भी बेतहाशा भीड़ जमा नहीं हो सकती।
4. कॉन्सर्ट हॉल और बेंच : श्लॉस एल्माऊ पैलेस का कॉन्सर्ट हॉल हर साल कई बड़े विश्व स्तरीय आयोजनों का गवाह बनता है। संगीत से जुड़े आयोजन यहां लगातार होते हैं। इसके अलावा यहां एक विश्व प्रसिद्ध बेंच है, जहां बैठकर मेहमान फोटो जरूर लेते हैं। होटल में लाइब्रेरी, कपड़े और किताबों की दुकानें भी हैं।
भारत से खास नाता
श्लॉस एल्माऊ पैलेस की सजावट में जगह-जगह हाथियों की कलाकृति दिखती है। इसके पीछे का एक रोचक किस्सा है। कई दशक पहले होटल के मालिक जोहान्स मुलर को अपने भारत दौरे के दौरान एक कपड़े पर हाथी बना दिखाई दिया। वे उसे अपने साथ ले गए। दार्शनिक मुलर को जब पता चला कि हाथी बुद्धिमत्ता और याददाश्त का प्रतीक होता है तो उन्होंने इसे होटल की साज-सज्जा में जगह देने का फैसला किया। सोफा, पर्दा, कप, कालीन में ऐसी आकृतियां सहज ही ध्यान खींचती हैं।
खास बातें
-इसे दार्शनिक जोहान्स मुलर ने आर्किटेक्ट कार्ल सेटलर के साथ मिलकर बनाया था।
-साल 1914 से 1916 के बीच बने इस होटल पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिकी सेना ने कब्जा कर लिया।
-मुलर के वंशजों ने साल 1961 में कानूनी लड़ाई के बाद फिर स्वामित्व हासिल किया।
-जोहान्स मुलर के पोते डायटमार मुलर श्लोस एलमाऊ के मौजूदा मालिक हैं।
– इससे पहले साल 2015 में भी श्लॉस एल्माऊ पैलेस जी-7 बैठक की मेजबानी कर चुका है।
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