नई दिल्ली (New Delhi)। जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) के आयोजन स्थल प्रगति मैदान तक जाने वाले हर देश के प्रमुख के काफिले में 14 से ज्यादा कारें नहीं होंगी, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति (us President) के काफिले में चलने वाली कारों की संख्या 15 से 25 हो सकती है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जिस ‘द बीस्ट’ कार में चलते हैं, वह भी अमेरिकी प्रशासन की ओर से भारत लाई जा रही है।
करीब 10 करोड़ रुपये की कीमत व ट्रक की चैसिस पर बनने वाली ये 7 टन की कार पर बम का भी असर नहीं होता है। अगर टायर फट जाते हैं, तो उसकी गति और क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
कार के अंदर राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए पंप एक्शन शॉर्ट गन, आंसू गैस से लेकर ग्रेनेड हमले तक का विकल्प है। कार में नाइट विजन कैमरा लगा है। यह कार अपने सामने खड़े किसी भी लक्ष्य को सेकंड्स में तबाह कर सकती है। यह कार आकर्षण का केंद्र बनेगी।
बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति सात सितंबर की रात व आठ अगस्त की सुबह आ सकते हैं। वह हैदराबाद हाउस में होने वाले समिट में शामिल होंगे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि नाइजीरिया के प्रमुख पांच सितंबर को ही दिल्ली आ जाएंगे। कुछ देशों के प्रमुख सात सितंबर की सुबह आएंगे। कुछ आठ को तो कुछ नौ सितंबर की सुबह आएंगे। कुल 41 देशों के राष्ट्रपति व राष्ट्रध्यक्ष भारत आ रहे हैं।
होटलों के इंटरनेट सिस्टम का हो रहा ऑडिट
विदेशी मेहमान दिल्ली व गुरुग्राम के होटलों में ठहरेंगे। सुरक्षा एजेंसियों को अंदेशा है कि होटलों के इंटरनेट सिस्टम को हैक किया जा सकता है। ऐसे में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर होटलों के इंटरनेट सिस्टम का ऑडिट किया जा रहा है। ऑडिट के बाद होटल प्रशासन को बताया जाएगा कि उनके सिस्टम में ये कमी है और वह इसे दुरुस्त कर लें। इस बात की आशंका है कि हैकर सिस्टम हैक कर शिखर सम्मेलन की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
दूसरे के जोन में डीसीपी भी नहीं जा सकेंगे
विदेशी मेहमानों की सुरक्षा ऐसी की गई है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। एयरपोर्ट, रास्ते, होटल, रूट, काफिले, प्रगति मैदान व पार्किंग आदि जगहों के जोन बनाए गए हैं। हर प्रमुख जोन की जिम्मेदारी डीसीपी स्तर के अधिकारी को दी गई है। कोई भी डीसीपी अपने जोन को छोड़कर किसी दूसरे जाने में नहीं घुस सकेगा।
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