नई दिल्ली (New Delhi)। जी-20 (G-20) के अब तक के इतिहास में भारत (India) की अध्यक्षता में हो रहा जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) सबसे महत्वाकांक्षी और कार्योन्मुखी (Most ambitious and action oriented) रहा है। यह सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में दो से पांच गुना तक अधिक कार्योन्मुखी रही है। पहले दिन जी-20 नेताओं को घोषणा-पत्र में यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russian) के आक्रमण का जिक्र करने से परहेज किया गया। साथ ही सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का सामान्य आह्वान किया गया। इसे मोटे तौर पर संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों के रुख में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में 73 परिणाम (प्रयास की दिशा) और 39 संलग्न दस्तावेज (अध्यक्षीय दस्तावेज, कार्य समूह परिणाम दस्तावेज शामिल नहीं) के साथ यानी कुल 112 मूल कार्य को अंतिम रूप दिया गया। 112 परिणामों और प्रेसीडेंसी दस्तावेजों के साथ भारत ने पिछले साल इंडोनेशिया में हुए जी20 की अध्यक्षता की तुलना में मूल कार्य को दोगुने से भी अधिक कर दिया है। इंडोनेशिया में कुल 50 कार्य का समापन हुआ था।
2021 में इटली की अध्यक्षता में हुए 36 परिणाम (प्रयास की दिशा) और 29 संलग्न दस्तावेज (अध्यक्षीय दस्तावेज, कार्य समूह परिणाम दस्तावेज शामिल नहीं) के साथ कुल 65 कार्य हुए। इसी तरह 2020 में सऊदी अरब की अध्यक्षता में 65 के अलावा 2019 में जापान में 29 और 2018 में अर्जेंटीना में 33 कार्यों का समापन हुआ था। जबकि 2017 में जर्मनी की अध्यक्षता में सिर्फ 22 कार्य का समापन हुआ था।
बाली, बाली था और नई दिल्ली, नई दिल्ली है : जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर (Foreign Minister S. Jaishankar) ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘बाली घोषणा-पत्र के साथ तुलना के संबंध में मैं केवल यही कहूंगा कि बाली बाली था और नई दिल्ली नई दिल्ली है। मेरा मतलब है, बाली (जी20 शिखर सम्मेलन) को एक साल हो गया है।’
उन्होंने कहा, ‘तब स्थिति अलग थी। तब से कई चीजें हुई हैं। और वास्तव में यदि आप नेताओं के घोषणा-पत्र के भू-राजनीतिक खंड में देखें तो कुल आठ पैराग्राफ हैं, जिनमें से सात वास्तव में यूक्रेन मुद्दे पर केंद्रित हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि किसी को इसके बारे में रूढ़िवादी विचार नहीं रखने चाहिए। नई दिल्ली घोषणा-पत्र में वर्तमान स्थिति और चिंताओं का जवाब दिया गया है, ठीक उसी तरह जैसे एक साल पहले बाली घोषणा-पत्र में किया गया था।’
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