नई दिल्ली । अंतरिक्ष (space) में मौजूद हमारे संसाधन हमारी वायु सैन्य क्षमता (air force capability) में महत्वपूर्ण इजाफा कर सकते हैं। बल्कि भविष्य में युद्धों के परिणाम और विजेता इस बात से तय होंगे कि हमारी अंतरिक्ष पर कितनी पकड़ है। एयरचीफ मार्शल विवेक राम चौधरी (Air Chief Marshal Vivek Ram Choudhary) ने भविष्य के सैन्य संघर्षों के बारे में मंगलवार को यह दावा किया।
उन्होंने जियो इंटेलिजेंस 2022 नामक कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमें आज अंतरिक्ष को अपने हवाई माध्यम के प्राकृतिक विस्तार की तरह देखना चाहिए, इसका उपयोग नई परिस्थितियों में करना सीखना होगा। पारंपरिक संचार प्रणाली जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (35,786 किमी ऊंचाई पर पृथ्वी के घूमने की दिशा व गति के साथ-साथ परिक्रमा करने का पथ) पर आधारित है। यह लंबे समय में उपयोगी साबित हुई है, लेकिन पृथ्वी के निचले और मध्यम परिक्रमा पथ (लियो और मियो) पर मौजूद उपग्रहों के कई फायदे हैं।
लियो यानी धरती से 160 से 1 हजार किमी की ऊंचाई और मियो यानी 2 हजार से 35,786 किमी की ऊंचाई। यही वजह है कि व्यावसायिक क्षेत्र से भी यहां उपग्रह भेजने वालों की संख्या बढ़ी है। आने वाले समय में लियो क्षेत्र तेजी से बदलने वाला है, यहां के लिए उपग्रह बनाने और उन्हें भेजने का खर्च भी घटेगा।
नागरिक व सैन्य सामंजस्य से तेज विकास
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि अंतरिक्ष में नागरिक और सैन्य सामंजस्य से तेजी से विकास हो सकेगा। कई संस्थानों, उद्योगों, स्टार्टअप, अकादमिक क्षेत्र, शोधकर्ताओं और परीक्षण व मूल्यांकन लैब को साथ काम करना होगा।
रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, इस सामंजस्य को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगी ताकि सोचे गए लक्ष्य व परिणाम हासिल हों।
युद्ध भूमि में दुश्मन के इरादे भांपने में मददगार
एयरचीफ मार्शल ने बताया कि नई तकनीकों को भारतीय वायुसेना में तेजी से शामिल किया जा रहा है। स्थलीय और अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं से संचार को बेहतर किया गया है। इनके जरिए युद्ध भूमि को ज्यादा पारदर्शी तरीके से देखने में मदद मिल रही है, जो दुश्मन के इरादे जानने में काफी मददगार है।
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