नई दिल्ली: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत एक दर्जन से अधिक मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों (agitating farmers) ने दिल्ली कूच की तैयारी शुरू कर दी है. रविवार को किसान और सरकारों (farmers and governments) के बीच चौथे दौर की बैठक हुई थी, जिसमें सरकार ने किसानों को पांच साल के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन बात नहीं बन पाई है. जिसके बाद किसान अब दिल्ली कूच की तैयारी करने लगे (Farmers now started preparing to march to Delhi) हैं.
शंभू बॉर्डर पर पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़ने के लिए जेसीबी मशीनों के साथ-साथ बड़ी पोकलेन मशीनें भी पहुंच गई हैं. इन मशीनों को चलाने वाले ऑपरेटरों को पुलिस के आंसू गैस के गोलों और रबर बुलेट से बचाने के लिए मॉडिफाई भी किया गया है. पूरे केबिन को लोहे की मोटी-मोटी शीट्स से फुलप्रूफ कर दिया है.
अगर हरियाणा पुलिस किसानों को रोकने की कोशिश करती है, आंसू गैस के गोले या बल प्रयोग करती है तो किसानों ने मशीन के ड्राइवर को उससे बचने के लिए ड्राइवर के कैबिनेट को लोहे की मोटी चादर से ढक कर बख्तरबंद बनाया है. किसानों का दावा है कि ये केबिन बुलेट प्रूफ है. वो अब करो या मरो की सोच के साथ आए हैं.
जानकारी के मुताबिक, किसानों ने ऐसी तकरीबन 7 से 8 मशीनें तैयार की हैं, जिन्हें पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग बॉर्डर शंभू, खन्नौरी और डबवाली बॉर्डर पर तैनात किया जा रहा है.किसान कल सुबह 11 बजे इन मशीनों की मदद से हरियाणा पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़कर ट्रालियों के लिए रास्ता बनाने की कोशिश करेंगे. दरअसल, रविवार को हुई चौथी बैठक में सरकार ने किसानों के सामने पांच साल तक दाल, मक्का और कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का प्रस्ताव रखा था. किसानों ने सोमवार को सरकार के प्रस्ताव यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह किसानों के हित में नहीं है. इसके बाद किसानों ने बुधवार को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया.
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या फिर बैरिकेड हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए. दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे किसानों ने शंभू बॉर्डर सफाई अभियान भी चलाया. किसानों ने कहा कि कल वह दिल्ली कूच करेंगे इसलिए अभी से सफाई कर रहे हैं ताकि पीछे कोई ये ना कहे कि किसान यहां बैठे थे और हाईवे गंदा करके चले गए. हलांकि, हम जहां भी मोर्चा लगाकार बैठते हैं वहां सफाई करते हैं.
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