नई दिल्ली (New Dehli)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections)में एकजुट होकर भाजपा(B J P) का मुकाबला करने के लिए इंडिया गठबंधन (india alliance)के घटकदल सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। कांग्रेस की गठबंधन समिति घटकदलों के साथ अलग-अलग चर्चा कर रही है। इस बीच, कांग्रेस के बसपा के गठबंधन में आने की हिमायत कर प्रदेश की सियासत का पारा बढ़ा दिया है। कांग्रेस महासचिव और प्रभारी अविनाश पांडे मानते हैं कि भाजपा को शिकस्त देने के लिए समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों का एकजुट होना चाहिए। पर, सपा को यह मंजूर नहीं है। यही वजह है कि सपा इंडिया गठबंधन की बैठक और उसके बाद लगातार बसपा पर हमलावर है। वहीं, बसपा भी जवाब देने में कोई रियायत नहीं बरत रही है।
ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि कांग्रेस आखिर क्यों बसपा को गठबंधन में शामिल करना चाहती है। इसके कई कारण हैं। पहला यह कि बसपा के गठबंधन में आने से एनडीए के खिलाफ एक सीट से विपक्ष के एक उम्मीदवार की परिकल्पना साकार हो सकती है। वहीं, इससे अहम बसपा का वोट प्रतिशत है।
बसपा के पास करीब 20 फीसदी वोट
बसपा के पास करीब 20 फीसदी वोट हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव सपा-बसपा ने गठबंधन में लड़ा था। इस चुनाव में बसपा 19.4 फीसदी वोट के साथ दस और 18.1 प्रतिशत वोट के साथ सपा को पांच सीट मिली थी। कांग्रेस 6.4 वोट के साथ सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में 21 फीसदी दलित मतदाता हैं और चुनाव में दलित मतदाताओं की पहली पसंद बसपा है।
बसपा के रुख को सकारात्मक मान रही कांग्रेस
दूसरी तरफ, सीट को लेकर समाजवादी पार्टी जिस तरह कांग्रेस पर दबाव बना रही है, उसकी काट के लिए भी पार्टी बसपा का इस्तेमाल कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस लोकसभा में सपा के मुकाबले बसपा के साथ गठबंधन को ज्यादा फायदेमंद मानती है। उनका मानना है कि गठबंधन को सवर्ण मतदाता भी वोट कर सकते हैं। कांग्रेस बसपा के रुख को सकारात्मक मान रही है।
बसपा को गठबंधन का हिस्सा बनने पर शायद ऐतराज नहीं
प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बसपा अकेले चुनाव मैदान में उतरने का दम भर रही है, पर कांग्रेस के साथ गठबंधन की अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं है। जबकि सपा की टिप्पणियों पर बसपा सुप्रीमो मायावती खुद जवाब दे रही हैं। ऐसे में बसपा को शायद गठबंधन का हिस्सा बनने पर ऐतराज नहीं है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। पार्टी ने खोई हुई जमीन तलाशने का कई बार प्रयास किया, पर विफल रहे। वर्ष 2017 विधानसभा व में कांग्रेस-सपा का गठबंधन भी कोई फायदा नहीं हुआ। इन चुनाव में 114 सीट पर चुनाव लड़कर पार्टी सिर्फ सात सीट हासिल कर पाई, जबकि 2012 के चुनाव में 28 सीट पर जीत दर्ज की थी।
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