लंदन। क्या भगोड़ा हीरा व्यापारी (Fugitive diamond trader) नीरव मोदी (Nirav Modi) भारत (India) आने पर आत्महत्या (suicide) कर सकता है? इस मुद्दे पर ब्रिटेन की अदालत में बहस (UK court debate) हो रही है। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कर्ज घोटाले (Punjab National Bank (PNB) loan scam) के मामले में लगभग दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और धनशोधन का आरोपी है। उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने को लेकर लंदन की अदालत में सुनवाई चल रही है। कहा जा रहा है कि अगर नीरव मोदी भारत गया तो उसके आत्महत्या करने का जोखिम बढ़ जाएगा। आत्महत्या करने के जोखिम के स्तर का पता लगाने के लिए लंदन स्थित उच्च न्यायालय में मंगलवार को मनोविज्ञान के दो विशेषज्ञों के तर्क सुने गए।
लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने प्रत्यर्पण के खिलाफ 51 वर्षीय हीरा कारोबारी नीरव की अपीलों पर अंतिम चरण की सुनवाई में विशेषज्ञों की दलीलों को सुना। कार्डिफ विश्वविद्यालय में फोरेंसिक मनोविज्ञान के प्राध्यापक एंड्रयू फॉरेस्टर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में फोरेंसिक मनोविज्ञान की प्राध्यापक सीना फजेल ने दलीलें पेश कीं।
दोनों मनोविज्ञानियों ने नीरव के अवसाद के स्तर को आंका जिसमें आत्महत्या का अधिक जोखिम है। दोनों ने दक्षिण पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में नीरव मोदी के मन में चल रही उठापटक के अपने आकलन का खुलासा किया और कहा कि वह प्रत्यर्पित किये जाने की स्थिति में केवल खुद को जानलेवा नुकसान पहुंचाने या फांसी पर लटकने की सोचता है।
फॉरेस्टर ने अदालत में कहा कि उनके आकलन के मुताबिक नीरव मोदी के खुदकुशी करने का अत्यधिक जोखिम है। हालांकि, फजेल का विश्लेषण था कि वह मामूली तनावग्रस्त लगता है। फजेल ने कहा, ‘‘वह अच्छी तरह काम करता है, सवालों का सोच-समझकर जवाब देता है और अनिद्रा, खाने-पीने की इच्छा नहीं होना या भ्रम होने जैसे गंभीर अवसाद वाले लक्षण उसमें नहीं हैं।’’
दोनों विशेषज्ञ नीरव के मानसिक स्वास्थ्य में कुछ स्थायी भावों को लेकर भी असहमत दिखे। फजेल का कहना था कि अवसाद साध्य बीमारी है जिसका आशय हुआ कि अगर मुंबई की आर्थर रोड जेल के हालात उसे उतने डरावने नहीं लगे जैसा वह सोच रहा है तो उसकी हालत में सुधार हो सकता है। गौरतलब है कि भारत प्रत्यर्पित किये जाने पर नीरव मोदी को आर्थर रोड जेल में रखा जा सकता है।
अदालत ने कहा, भारत के आश्वासनों में खामियां नहीं ढूंढनी चाहिए
लंदन उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि भारत एक मित्र देश है और ब्रिटेन को भारत सरकार के इन आश्वासनों में खामियां नहीं ढूंढनी चाहिए कि धोखाधड़ी और धनशोधन से संबंधित मुकदमे के दौरान हीरा कारोबारी नीरव मोदी को मुंबई की आर्थर रोड जेल में पर्याप्त चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाएगी।
नीरव मोदी (51) ने दो अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कर्ज घोटाला मामले में खुद को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अपील दाखिल की है, जिसपर सुनवाई के दूसरे दिन दो न्यायाधीशों की पीठ ने इन दलीलों पर गौर किया कि इसका बहुत अंदेशा है कि नीरव अपनी अवसादग्रस्त हालत के चलते आत्महत्या कर सकता है।
नीरव के बचाव पक्ष ने दावा किया कि यदि उसे भारत के “प्रतिकूल वातावरण” में भेजा जाता है तो उसका अवसाद बदतर हो जाएगा। भारत में राजनेताओं ने उन्हें पहले ही अपराधी घोषित करके “बुरे व्यक्ति” रूप में पेश किया है। साथ ही प्रेस ने उनके प्रति “कटुतापूर्ण” रवैया दिखाया है और लोगों ने “उनके पुतले जलाए” हैं।
न्यायाधीश जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ ने बचाव पक्ष के वकील एडवर्ड फिट्जगेराल्ड से कहा, “भारत सरकार के आश्वासनों को यथोचित रूप से सही तरीके से देखा चाहिए और उनमें से खामियां नहीं निकाली जानी चाहिए।” उन्होंने कहा, “आपके मुवक्किल को लग सकता है कि आश्वासन पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
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