नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़कर महामारी पूर्व स्तर पर पहुंचने से देश में मार्च में ईंधन की बिक्री 4.2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। पेट्रोलियम मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च, 2022 में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 1.94 करोड़ टन रही। खपत का यह आंकड़ा मार्च, 2019 के बाद सबसे ज्यादा है। आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी से अर्थव्यवस्था के उबरने के बीच परिवहन ईंधन की मांग मार्च में बढ़ गई।
पेट्रोल की रिकॉर्ड खपत
2021-22 के दौरान ईंधन की मांग 4.3 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 20.27 करोड़ टन पर पहुंच गई। यह 2019-20 के बाद का उच्च स्तर है। इस दौरान वाहन ईंधन और रसोई गैस की खपत में इजाफा हुआ। पेट्रोल की खपत 10.3 फीसदी बढ़कर 3.08 करोड़ टन हो गई, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।
डीजल में 6.7 फीसदी बढ़ोतरी
देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले डीजल की कुल ईंधन खपत में हिस्सेदारी 40 फीसदी रही। मार्च में डीजल की मांग 6.7 फीसदी बढ़कर 77 लाख टन पर पहुंच गई। पेट्रोल की खपत 6.1 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 29.1 लाख टन रही। खास बात यह है कि पेट्रोल एवं डीजल दोनों ही ईंधनों की मांग मार्च में महामारी-पूर्व स्तर को पार कर गई।
विमान ईंधन में भी 35 फीसदी इजाफा
विमान ईंधन एटीएफ की मांग 35 फीसदी बढ़कर 50 लाख टन हो गई, लेकिन यह अब भी महामारी-पूर्व स्तर से काफी कम है। इसकी वजह यह है कि देश में विमानन सेवाएं पूरी तरह से 2021-22 के आखिर में ही बहाल हुईं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कारखानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन नाफ्था और सड़क निर्माण में लगने वाले बिटुमेन की खपत क्रमश: 1.42 करोड़ टन एवं 77 लाख टन रही।
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