नई दिल्ली। अगर आप बहुत ज्यादा चिप्स, पिज्जा और तमाम तरह के जंक फूड्स खाते हैं तो आपको हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल्ली की बीमारियों को खतरा रहता है। आप में से बहुत से लोगों को ये पता भी होगा कि इसकी सबसे बड़ी वजह है ट्रांस फैट्स (trans fats), जिसका इस्तेमाल कंपनियां अपने खाने पीने की चीजों में करती हैं ताकि वो लंबे समय तक चल सकें या खराब न हों।
खाने पीने की चीजों में ट्रांस फैट्स की सीमा तय : आप अपनी सेहत की चिंता करें या न करें लेकिन फूड रेगुलेटर FSSAI को आपके खाने पीने की चिंता जरूर है। इसलिए Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) ने सभी खाद्य पदार्थों (food items) में ट्रांस फैट्स की सीमा को तय कर दिया है। FSSAI की ओर से एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है, जिसमें ये बताया गया है कि FSSAI अब उन कई देशों की कतार में खड़ा हो गया है जहां ट्रांस फैट्स को खत्म करने की बेस्ट पॉलिसी का पालन किया जाता है।
2021 से 3 परसेंट से ज्यादा ट्रांस फैट नहीं : FSSAI के मुताबिक ‘ऐसे तकरीब 40 देश हैं जहां ट्रांस फैट्स को लेकर पॉलिसीज बनाई गईं हैं, एशिया की बात करें तो थाइलैंड के बाद भारत पहला देश है जिसने ट्रांस फैट खत्म करने की बेस्ट प्रैक्टिस पॉलिसी बनाई है।’ 29 दिसंबर 2020 को नोटिफाई किए गए रेगुलेशन में FSSAI ने इंडस्ट्रियल TFA (trans fatty acids) को सभी फैट्स और तेलों में अधिकतम 3 परसेंट तक सीमित कर दिया है, यानी 3 परसेंट से ज्यादा ट्रांस फैट्स का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, ये नियम जनवरी 2021 से लागू है।
2022 में ट्रांस फैट घटाकर 2 परसेंट करना होगा : इसके अगले साल 2022 में ट्रांस फैट्स की लिमिट को घटाकर 2 परसेंट कर दिया जाएगा। पिछले महीने ही फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (Prohibition and Restrictions on Sales) दूसरा संशोधन कानून, 2021 को लागू किया गया है। इस रेगुलेशन में कहा गया है कि सभी खाद्य पदार्थ जिसमें खाने वाले तेल और फैट्स का इस्तेमाल होता है, इसमें इंडस्ट्रियल ट्रांस फैटी एसिड 2 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकता है। ये नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होगा।
आमतौर पर ट्रांस फैट दो प्रकार के होते हैं।
पहला- नेचुरल ट्रांस फैट (Natural Trans Fat) : जानवरों से मिलने वाले दूध, दही, घी, पनीर और दूध से बने दूसरे खाद्य पदार्थ। मांस, अंडे वैगरह में नेचुरल ट्रांस फैट पाया जाता हैं। अगर इसे सही मात्रा में ले तो ये फायदेमंद होता है, लेकिन ज्यादा खाने पर नुकसान कर सकता है। इसे सैचुरेटेड फैट के नाम से भी जाना जाता हैं।
दूसरा- आर्टिफिशियल ट्रांस फैट (Artificial Trans Fat) : ये इंडस्ट्री में प्रोसेस करके तैयार किये गये खाने के तेल, फूड्स, पैकट बंद खाद्य पदार्थ में होता है। FSSAI यहां पर इसी पर लगाम लगा रहा है। तेल को बार बार गर्म करने से भी उसमे आर्टिफिशियल ट्रांस फैट या नुकसानदायक ट्रांस फैट की मात्रा काफी बढ़ जाती हैं। जो सेहत के लिए खतरनाक है।
इंडस्ट्रियल ट्रांस फैट खराब क्यों : इंडस्ट्रियल ट्रांस फैट को लिक्विड वेजीटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है, जिससे ये ठोस हो जाता है। ये सामान्य तापमान पर प्रोडक्ट को लंबे समय तक खाने योग्य बनाकर रखता है, यानी जल्दी खराब नहीं होता। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि अगर 1 परसेंट से ज्यादा इंडस्ट्रियल ट्रांस फैट अपने खाने में लिया जाए तो हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों को खतरा बढ़ जाता है।
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