सिवनी मालवा। मौसम में अचानक बदलाव आने के कारण क्षेत्र में 2 दिनों से हुई बेमौसम बारिस और ओलावृष्टि के चलते क्षेत्र की पहाड़ी नदी मोरन में 30 अप्रैल की रात को अचानक ज्यादा पानी बढऩे के चलते नदी में लगाई गई लगभग 60 -70 बाडिय़ा तेज पानी में बह कर नष्ट हो गई। उक्त बाडिय़ों में इस समय फल और सब्जियां लगी हुई थी। ग्राम पंचायत लोखरतलाई से बहने वाली मोरन नदी के किनारे गांव के कीर, कहार जाति के देवी सिंह कहार, अरुण कहार, शेरू कहार, रामनारायण कीर, प्रेम नारायण कीर, गुल्लू कीर, तेजराम कहार, श्रीकृष्ण कीर, राजेश कहार ने बताया कि हम अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करने के लिए मोरन नदी में ठंड और गर्मी में सब्जी, फल लगाकर खेती करते हैं और बारिश के बाद मछली पकड़ कर अपना परिवार का पेट भरते हैं। अभी मोरन नदी में हम लोगों की 60 – 70 बाडिय़ा लगी हुई थी। जिसमें तरबूज, खरबूज, ककड़ी, गिलकी, लौकी, टिंडे, चोलाफली, तुरई, बैंगन आदि लगे हुए थे।
जिसे हम रोज तोड़कर बाजार ले जाते थे और उसे बेचकर अपने परिवार का पालन कर रहे थे लेकिन 30 अप्रैल की रात्रि को मोरन नदी में आए बारिश के तेज पानी और बहाव में हमारी बाडिय़ां पूरी तरह डूबकर बह गई। जिसके बाद अब हमें अपने परिवार का पालन पोषण करने का भी कोई सहारा नहीं रहा। अगर अभी नदी में बारिश का पानी नहीं आता तो आगामी 2 महीने तक नदी में लगी बाडिय़ों से हम सब्जियां बेचने का कार्य सतत करते रहते लेकिन अचानक आई प्राकृतिक आपदा से हम लोगों का अब परिवार चलाने का हमारा 1 मात्र सहारा हमारी बाडिय़ां भी नष्ट हो गई। इसके अलावा हमारे पास कोई खेती और अन्य धंधा भी नहीं है। जिससे हम अपना गुजर-बसर कर सकें। हमारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से मांग है कि नदी के पानी से नष्ट हुई हमारी बाड़ी का उचित मुआवजा हमें दिया जावे।
इनका कहना हैं
ग्राम पंचायत लोखरतलाई में ही निवासरत ये लोग अपने परिवार का गुजर बसर मोरन नदी में फल सब्जी की बाडिय़ा लगाकर करते हैं लेकिन हाल ही में नदी में आए बारिश के पानी में इन लोगों की बाडिय़ा नष्ट होकर बह गई। मेरा स्थानीय जनप्रतिनिधियों औऱ प्रशासन से आग्रह हैं कि पीडि़त बाड़ीदारों की बाडिय़ों का सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिया जावें।
शिखा रवि गुप्ता, सरपंच ग्राम पंचायत लोखरतलाई, सिवनी मालवा।
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