नई दिल्ली। उत्तर कोरिया (North Korea) हो या फिर पाकिस्ताान ये वो ऐसे देश जिन्हें अपने देश की जनता से ज्यादा हथियारों की चिन्ता रहती है। चाहे देश में आर्थिक व्यवस्था (economic system) पूरी पटरी से नीचे क्यों न चल रही हो लेकिन परमाणु हथियार (nuclear weapon) पर पैसा इनके पास कहीं न कहीं से आ ही जाते हैं।
बता दें कि साल 1950 के दशक तक उत्तर कोरिया एशिया के सबसे अधिक औद्योगिक देशों में से एक था, किन्तु आज उसकी अर्थव्यस्था पस्त नज़र आने लगी है, इसके बाद भी हर माह परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलों का परीक्षण जरूर कर रहा है। एक ऐसे समय जब वहां के नागरिकों का जीवन जोखिम में है, उत्तर कोरिया की अमरीका और अन्य देशों से तनातनी चल रही है। यह तनातनी परमाणु कार्यक्रम और लंबी दूरी की मिसाइलें विकसित करने को लेकर है।
अब सवाल उठता है कि उत्तर कोरिया के पास इतना पैसा कहा से आता है जिससे वह परमाणु हथियार बनाने पर खर्च करता है। लंबे समय से चल रही एक जांच की मानें तो करीब डेढ़ लाख उत्तर कोरियाई लोग दूसरे देशों में रहकर पैसा कमाते हैं और यही पैसा किम जोंग-उन के परमाणु कार्यक्रम में इस्तेमाल होता है।
खुफिया तरीके से की गई यह जांच अलग-अलग देशों के कुछ पत्रकारों ने एक अंतरराष्ट्रीय समूह बनाकर की जिसमें रूस, चीन और पोलेंड में काम कर रहे उत्तर कोरियाई लोगों से बात की गई। इस जांच के मुताबिक ये लोग जो कर रहे हैं उसे 21वीं सदी में होने वाली गुलामी माना जा सकता है।
दूसरी ओर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूएन की रिपोर्ट कहती है कि अपने परमाणु कार्यक्रमों और मिसाइलों के लिए पैसे जुटाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर साइबर अटैक कर पैसे की उगाही इस देश के लिए आय का प्रमुख स्रोत है। ये रिपोर्ट यूएनएससी प्रतिबंध कमेटी के सामने इसी हफ्ते पेश की गई और इसमें नॉर्थ कोरिया के सीक्रेट वीपन प्रोग्राम के बारे में कई दावे किए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और वित्तीय संस्थाओं पर साइबर अटैक से पैसे जुटाना नॉर्थ कोरिया के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत है साइबर अटैक से साल 2020 में और साल 2021 के मध्य तक नॉर्थ कोरियन साइबरअटैकर्स ने नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया के तीन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से ही 50 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम चुरा ली. साइबर सिक्योरिटी फर्म चाइना एनालिसिस की पिछले महीने की रिपोर्ट का भी इसमें जिक्र है जिसमें कहा गया है कि पिछले साल नॉर्थ कोरिया ने डिजिटल एसेट्स से 400 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम की उगाही के लिए क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म्स पर 7 से अधिक साइबर अटैक किए. यूएन मॉनिटर्स की साल 2019 की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि हथियारों के अपने कार्यक्रमों के लिए नॉर्थ कोरिया ने साइबर हमलों से करीब 3 बिलियन डॉलर की रकम जुटाई।
गौरतलब है कि उत्तर कोरिया ने अपने संस्थापक राष्ट्रपति किम इल-सुंग की 105वीं जयंती पर 15 अप्रैल को राजधानी प्योंगयांग में आयोजित परेड में अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। इसमें नई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल और पनडुब्बी का प्रदर्शन शामिल था। अमरीका और दक्षिण कोरिया के मुताबिक़ इसके अगले ही दिन उत्तर कोरिया ने एक मिसाइल का परीक्षण किया, जो कि नाकाम रहा।
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