इंदौर, राजेश ज्वेल। पुलिसिया सिस्टम में तमाम दावों के बावजूद आज तक परिवर्तन नहीं हुआ और थानों का ढर्रा भी नहीं सुधरा है। दूसरी तरफ 170 साल पुराने तीन क्रिमिनल लॉ में आमुलचूल बदलाव कर दिए और आधी रात से नए कानून लागू हो गए। मगर 5 करोड़ से अधिक मुकदमे, जो देश की विभिन्न अदालतों में लम्बित हैं उनका निपटारा जहां पुराने कानूनों के मुताबिक ही करना पड़ेगा, तो उसके साथ में नए कानूनों के तहत आने वाले मुकदमों की भी सुनवाई होगी। नतीजतन अदालतों, पुलिस, वकीलों सहित न्यायिक प्रणाली से जुड़े सभी लोगों, पक्षकारों के समक्ष भी कई मर्तबा भ्रम की स्थिति भी निर्मित होगी।
नए कानूनों में हालांकि जल्द न्याय दिलाने का दावा तो किया ही गया है, वहीं ई-एफआईआर और डिजीटल एविडेंस पर भी जोर रहेगा। मगर सवाल यह है कि थानों का ढर्रा तो वही पुराना है। अधिकांश थानों में मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है। न तो साधन हैं और ना ही अमला, जबकि आबादी और क्षेत्रफल विगत वर्षों में ही दो गुना से अधिक बढ़ गया है। अब दो तरह के कानूनों कीजानकारी रखना पड़ेगी, क्योंकि 30 जून तक दर्ज सभी मामलों के ट्रायल, अपील या अन्य मामले उसी तरह सुने जाएंगे। अभी जिला अदालतों, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लम्बित पड़े हैं, जिनमें साढ़े 3 करोड़ से अधिक क्रिमिनल यानी आपराधिक मुकदमे ही हैं। मगर इन सभी लम्बित मुकदमों का निपटारा पुराने कानून के मुताबिक ही करना पड़ेगा। वहीं इसके साथ जो नए मुकदमे दायर होंगे। उनमें नए कानून के प्रावधान लागू रहेंगे।
यानी एक ही वक्त में दोनों तरह के कानूनों की जानकारी जजों के साथ-साथ इन मुकदमों से जुड़े तमाम वकीलों और पुलिस महकमे को भी रखना पड़ेगी। इतना ही नहीं, मीडिया की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। खासकर क्राइम रिपोर्टरों को भी नए और पुराने, दोनों कानूनों की समझ विकसित करना होगी और यौन अपराधों की रिपोर्टिंग में भी अब नए कानून के तहत सावधानी बरतना पड़ेगी। धारा 72 के तहत अदालत की बिना अनुमति यौन अपराधों से जुड़ी कोर्ट की कार्रवाई को प्रकाशित करना अपराध माना जाएगा। हालांकि फैसलों को प्रकाशित किया जा सकेगा। वहीं नए कानूनों में बच्चों, महिलाओं से लेकर जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को भी अब और सख्त कर दिया है, तो घर बैठे ई-एफआईआर की सुविधा भी दी गई है। यानी कहीं से भी अब एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी। हालांकि हिट एंड रन कानून में किए बदलाव को रोका गया है, क्योंकि कुछ समय पहले देशभर के ट्रांसपोर्टरों ने इसके खिलाफ हड़ताल कर दी थी।
टॉप-१० धाराओं में अब इस तरह हो गया है परिवर्तन
कानून की कई धाराएं तो आम लोगों को भी पता थी। जैसे धोखाधड़ी के मामले में धारा 420 लगती थी, जो अब 318 हो गई है। इसी तरह हत्या की धारा 302 को अब 101 के नाम से जाना जाएगा और बलात्कार की धारा 375 की जगह 63, दंगे की धारा 146 की जगह 191, हत्या के प्रयास में धारा 307 की जगह अब 109 का इस्तेमाल होगा, तो मान हानि 499 की तरह 356, अपहरण के मामले में 359 की जगह 137 और हमले की धारा 351 भी अब 130 हो गई है।
९८२ थानों में आज विशेष कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ने भी ली वीडियो कांफ्रेंस
नए कानूनों को लेकर कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी वीडियो कांफ्रेंस ली। वहीं डीजीपी सुधीर सक्सेना के मुताबिक प्रदेश के सभी 982 थानों में नए कानूनों की जानकारी के लिए आज विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं और प्रदर्शनियां भी लगाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के समय से चले आ रहे विधेयक एवं अधिनियम में प्रधानमंत्री की पहल पर ये परिवर्तन किए गए हैं और अब दंड के स्थान पर न्याय का महत्व बढ़ेगा।
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