आज यानी जुमेरात से इतवार तक (24 से 27 नवम्बर) पूरे चार रोज़ भोपाल में अदब (साहित्य) मौसिक़ी, संगतराशी और पेंटिंग की नायाब जुगलबंदी का मुज़ाहरा होने जा रहा है। इस नायाब पिरोगराम की मंसूबाबंदी की है रिवायती मौसिक़ी ध्रुपद को पूरी दुनिया मे मशहूर और मक़बूल करने वाले गुंदेचा घराने की 19वी पीढ़ी के पद्मश्री उमाकांत गुंदेचा और मरहूम पद्मश्री रमाकांत गुंदेचा के फज़ऱ्न्द और ध्रुपद गायकी के तालिबे इल्म अनंत गुंदेचा ने। भदभदा रोड पे बड़े तालाब की जद और कलियासोत के कुछ नज़दीक हरी भरी वादियों के बीच ध्रुपद संस्थान न्यास इस यादगार महफि़ल को सजा रहा है। मक़सद ये के आज से अगहन की गुलाबी ठंड और सर्द हवाओं के हमराह रिवायती मौसिक़ी ध्रुपद के कद्रदान वहां जमा होंगे। इस अनूठे प्रोग्राम को स्मरण 2022 उनवान दिया गया है। ये उन ध्रुपद के उस्तादों के नज़्र किया जा रहा है जो इस दुनियाए फानी से कूच कर चुके हैं। स्मरण की इब्तिदा मरहूम रमाकांत गुंदेचा की याद से हो रही है।
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