इंदौर, विकाससिंह राठौर। मध्यप्रदेश में जल्द ही वाहन फाइनेंस पर लेने वाले वाहन मालिकों को लोन चुका देने के बाद वाहन के रिकार्ड से फाइनेंस निरस्त करवाने के लिए आरटीओ ऑफिसों के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। लोन पूरा होने के बाद फाइनेंस कंपनियां ही परिवहन विभाग के पोर्टल पर वाहन के रिकार्ड के फाइनेंस को निरस्त कर सकेंगी। इसके लिए विभाग नए साल से प्रदेश में नई प्रक्रिया लागू करने जा रहा है। नया या पुराना वाहन खरीदने पर अगर वाहन खरीदने वाला व्यक्ति पूरी राशि खुद नहीं चुकाता है और उसे किसी बैंक से फाइनेंस करवाता है तो वाहन के रजिस्ट्रेशन में खरीदार के साथ ही फाइनेंस कंपनी भी वाहन की मालिक बनती है। रजिस्ट्रेशन के वक्त इसे रिकार्ड में दर्ज किया जाता है और रजिस्ट्रेशन कार्ड पर भी वाहन के फाइनेंस होने का उल्लेख होता है। लोन पूरा हो जाने पर बैंक द्वारा एक एनओसी जारी की जाती है, जिसमें उल्लेख होता है कि वाहन पर अब कोई लोन बाकी नहीं है। इसे वाहन मालिक द्वारा आरटीओ ऑफिस में जमा करने के साथ फाइनेंस निरस्त करवाने की प्रक्रिया की जाती है, जिसे हाइपोथिकेशन कहा जाता है। इसमें वाहन मालिक को पहले फाइनेंस कंपनी और बाद में आरटीओ ऑफिस के चक्कर लगाना पड़ते हैं। इसमें कई बार भ्रष्टाचार का सामना भी करना पड़ता है। वाहन मालिक की इन्हीं परेशानियों को देखते हुए परिवहन विभाग इस व्यवस्था को ऑनलाइन करने के साथ ही इसके अधिकार फाइनेंस कंपनियों को देने जा रहा है, जिसके बाद फाइनेंस कंपनियां ही वाहन पर फाइनेंस चढ़ाने और निरस्त करने की प्रक्रिया कर सकेंगी। देश के कई राज्यों में इस प्रक्रिया को पहले ही लागू किया जा चुका है। अब मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग भी इसे लागू करने जा रहा है। इससे परिवहन विभाग पर इस काम का दबाव भी कम होगा और आम लोगों के लिए भी यह काम आसान हो जाएगा।
सीजिंग के वाहन सीधे ट्रांसफर करने की
गड़बड़ी का खुलेगा रास्ता
नई प्रक्रिया से जहां वाहनों के रिकार्ड पर फाइनेंस चढ़ाने और निरस्त करने का काम फाइनेंस कंपनियों को ही दिए जाने से वाहनों मालिकों को सुविधा मिलेगी, वहीं इससे सीजिंग के वाहनों के सीधे ट्रांसफर जैसी गड़बड़ी का रास्ता भी खुल जाएगा। विशेषज्ञों ने बताया कि लोन देते वक्त ही फाइनेंस कंपनियां वाहन मालिक से वाहन ट्रांसफर के दस्तावेज साइन करवा लेती हैं। किस्त न चुकाने पर फाइनेंस कंपनियां वाहनों को जब्त कर लेती हैं, जिसे सीजिंग कहा जाता है। इसके बाद लोन की भरपाई के लिए इन्हें अन्य लोगों को बेचा या नीलाम किया जाता है। परिवहन कानून कहता है कि ऐसी स्थिति में फाइनेंस कंपनियों को पहले वाहन को अपने नाम ट्रांसफर करवाना होता है और बाद में उसे बेचा जा सकता है, लेकिन अकसर कंपनियां खर्च से बचने के लिए ऐसा न करते हुए वाहन को सीधे ट्रांसफर करवाती हैं, जो गलत है। अभी ऐसे कई मामलों में विभाग ट्रांसफर को रोक भी देता है, लेकिन नई प्रक्रिया के बाद इसे नहीं रोक पाएगा और ऐसे वाहन सीधे पहले मालिक से दूसरे मालिक को ट्रांसफर हो जाएंगे।
ऑनलाइन रिकार्ड में निरस्त हो जाएगा फाइनेंस
नए कार्ड के लिए जाना होगा आरटीओ
अधिकारियों ने बताया कि नई प्रक्रिया में फाइनेंस कंपनी द्वारा लोन चुका देने के बाद वाहन के ऑनलाइन रिकार्ड से फाइनेंस निरस्त कर दिया जाएगा। वाहन मालिक डीजी लॉकर या एम-परिवहन ऐप पर अपडेटेड रजिस्ट्रेशन भी डाउनलोड कर सकेंगे, लेकिन उनके रजिस्ट्रेशन कार्ड पर फाइनेंसर का जो नाम प्रिंट है वह तो यथावत रहेगा। इसे बदलने के लिए आवेदक को आरटीओ ऑफिस में डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन कार्ड के लिए आवेदन करना होगा, जिससे उसे नया कार्ड मिलेगा, जिस पर फाइनेंसर का नाम नहीं होगा।
फर्जीवाड़े पर भी लगेगी रोक
परिवहन अधिकारियों ने बताया कि नई व्यवस्था से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वाहन फाइनेंस निरस्त करवाने जैसे फर्जीवाड़े पर भी रोक लग जाएगी। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब वाहन मालिक ने लोन चुकाने से बचने के लिए फाइनेंस कंपनी की फर्जी एनओसी पेश करते हुए फाइनेंस निरस्त करवा लिया और बाद में वाहन को बेच दिया। ऐसे मामलों में फाइनेंस कंपनियां एफआईआर तक दर्ज करवा चुकी हैं। नई व्यवस्था में फाइनेंस निरस्त करने का अधिकार फाइनेंस कंपनियों के पास ही होने पर ऐसी गड़बडिय़ों पर पूरी तरह से रोक लग सकेगी।
फाइनेंस कंपनियों को दिया जाएगा वाहन पोर्टल का एक्सेस, तीन-चार माह में लागू होगी व्यवस्था
देश के अन्य प्रदेशों की तरह मध्यप्रदेश में भी वाहनों के फाइसेंस चढ़ाने और निरस्त करने के अधिकार बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को दिए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत फाइनेंस कंपनियों को वाहन पोर्टल पर इस काम का विशेष एक्सेस दिया जाएगा। इसके लिए पोर्टल में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। कंपनियों को भी इसकी जानकारी दी जा रही है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में तीन से चार माह लगेंगे और वर्ष 2024 में लोग इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। इससे आवेदकों को काफी सुविधा मिलेगी। – प्रदीप शर्मा, आरटीओ, इंदौर
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