नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य और केंद्र सरकारों के प्रमुख के तौर पर बुधवार को 20वें साल में प्रवेश कर गए हैं। इस दौरान उन्होंने कोई ब्रेक नहीं लिया। इस तरह उन्होंने एक नेता के करियर के लिहाज से एक और मिसाल पेश कर दी है जिनकी लुभावनी अपील ने बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी प्रतिष्ठा दिलाई है। मोदी को उस वक्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अचानक निकालकर बतौर मुख्यमंत्री गुजरात की सेवा करने का दायित्व दे दिया गया था जब बीजेपी के अंदर असंतोष की आवाजें उठ रही थीं। ऐसी परिस्थिति में मोदी ने गुजरात में लगातार तीन सरकारों का नेतृत्व करते हुए केंद्र में कांग्रेस के दबदबे को चुनौती देने का मजबूत आधार तैयार कर लिया।
बीजेपी सूत्रों का मानना है कि मोदी ने लगातार 19 साल की अपनी सरकारी सेवा के दूसरे दौर में भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर आमजन को संतुष्ट करने में जबर्दस्त सफलता पाई है। वो चाहे चुनावी वादों को समय सीमा के अंदर प्रभावी तरीके से पूरा करने की बात हो या फिर कोविड-19 महामारी जैसी अप्रत्याशित आपदा से निपटने की, मोदी के फैसलों ने देश और देशवासियों के प्रति उनकी निष्ठा की भावना और मजबूत कर दी।
प्रधानमंत्री ने इस वर्ष 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया। इसके साथ ही उन्होंने इस गंभीर विवाद के कानूनी समाधान का बीजेपी का पुराना वादा पूरा कर दिया। उससे पहले वो संविधान के अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से निष्प्रभावी करते हुए बीजेपी के एक और प्रमुख वादे को पूरा कर चुके थे। मोदी ने प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही एक साथ तीन तलाक की कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाई। बीजेपी इसे मुस्लिम समाज में बड़े सुधार की नींव मानती है। साथ ही, उसे लगता है कि इस फैसले से ‘बीजेपी समाज के हर तबके के लिए चिंतित है’ का प्रभावी संदेश गया है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान की लॉन्चिंग, महामारी से प्रभावित वंचित तबके के करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन को उसी की भाषा में जवाब देने और श्रम एवं कृषि क्षेत्र के लंबित सुधारों को अंजाम तक पहुंचाने तक, मोदी ने कई कड़े और बड़े कदम उठाए। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘हमने अप्रत्याशित चुनौतियों के बीच ये सभी उपलब्धियां हासिल कीं और यह तो अभी शुरुआत है। एक बार स्थितियां सामान्य हो जाएं, फिर पता चलेगा कि क्या-क्या होने वाला है।’ एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने सुनिश्चित किया है कि चुनावी घोषणापत्र को सरकारी फैसलों का आधार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि चुनाव के दौरान किए गर वादों को गंभीरता से पूरा करना चाहिए।’
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो पुराने साथी शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल ने अपना-अपना रास्ता अलग कर लिया। एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘कृषि सुधार के लिए लाया गया कानून हमारे गठबंधन को बहुत महंगा पड़ा और एक पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल ने हमारा साथ छोड़ दिया। हालांकि, पीएम अपने फैसले पर अडिग रहे क्योंकि यह कानून 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’
मोदी ने पहली बार गुजरात के मुख्यंत्री के पद की शपथ 7 अक्टूबर, 2001 को ली थी। उसके तुरंत बाद भुज में विनाशकारी भुकंप ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। हालांकि, ‘वाइब्रेंट गुजरात’ जैसे मोदी के कुछ कदमों ने राज्य को फिर से उठ खड़ा होने में पूरी मदद की। बाद में गुजरात बिजली उत्पादन जैसे कई मोर्चों पर आत्मनिर्भर हो गया और इस तरह विकास के गुजरात मॉडल की चर्चा जोर पकड़ने लगी। गुजरात मॉडल ने नरेंद्र मोदी को इस तरह राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियों में लाया कि बीजेपी ने उन्हें 2013 में अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रधानमंत्री कैंडिडेट घोषित कर दिया।
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