नई दिल्ली। देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के बाद उन्होंने देशवासियों को संबोधित किया और उनके सामने विकसित भारत का विजन भी रखा। बता दें कि इस साल स्वतंत्रता दिवस की थीम विकसित भारत @2047 है। अपने संबोधन में उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड, बांग्लादेश में जारी हिंसा, देश की बेटियों और एक लाख गैर-राजनीतिक युवाओं के मुद्दों पर बात की। उन्होंने देश की न्याय व्यवस्था पर भी बात की और कहा कि य में विलंब हो रहा है जो कि चिंताजनक है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है।
महिलाओं और देश की बेटियों को लेकर पीएम ने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओं के कदम बढ़ रहे हैं। आज महिलाएं नेतृत्व भी दे रही हैं। उन्होंने कहा, “इतने वर्षों में हमने महिला केंद्रित विकास पर काम किया है। हमारी एयरफोर्स, आर्मी, नेवी या स्पेस सेक्टर हर क्षेत्र में महिलाएं शानदार काम कर रही हैं।”
महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार पर पीएम मोदी ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हमें समाज के तौर पर गंभीरता से सोचना पड़ेगा कि महिलाओं के प्रति अत्याचार बंद होना चाहिए। इसे लेकर एक आक्रोश है मैं इसे महसूस कर रहा हूं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी प्रवृत्ति करने वालों को जल्द कड़ी सजा मिले। मैं ये भी बताना चाहूंगा कि जब बलात्कार की घटनाएं होती हैं तो उसकी बहुत चर्चा होती है तो वो मीडिया में छाया रहता है। लेकिन जब अपराधियों को सजा होती हो तो उसकी खबरें प्रमुखता से नहीं छपती। इसे बदलना चाहिए। अपराधियों में डर पैदा करना जरूरी है।”
पीएम मोदी ने बांग्लादेश में जारी हिंसा पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में जो भी हो रहा है, उसे देखकर वह चिंतित हैं। पीएम मोदी ने कहा, “बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है। पड़ोस देश होने के नाते हम हालात को लेकर चिंतित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वहा हालात जल्द सामान्य होंगे। साथ ही वहां के हिंदू, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हम समर्पित हैं। हम आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा में हमेशा शुभचिंतक रहेंगे। हम मानव जाति के लिए सोचने वाले लोग हैं।”
यूनियन सिविल कोड को लेकर पीएम मोदी ने बताया कि इसपर चर्चा जारी है। उन्होंने कहा, “देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कह रही है और देश के संविधान निर्माताओं का भी ये सपना था। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच नीच का कारण बनते हैं। वैसे कानूनों के लिए देश में कोई जगह नहीं हो सकती। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा।”
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में युवाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “10 साल के भीतर युवाओं के सपनों को उड़ान मिली है और उसकी चेतना में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आज विश्व भर में देश को देखने का नजरिया बदला है। रोजगार के नए अनगिनत अवसर मिले हैं। संभावनाएँ बढ़ती गई हैं और नए मौके बन रहे हैं। मेरे देश के युवाओं को अब धीरे धीरे चलने का इरादा नहीं है। मेरे देश का नौजवान छलांग मारने के मूड में है। मैं कहना चाहूंगा कि भारत के लिए यह स्वर्णिम कालखंड है। मेरे देशवासियों को हमें यह अवसर जाने नहीं देना चाहिए और इसे पकड़कर अपने सपने को लेकर चल पड़ेंगे। हमें 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य लेकर रहेंगे।”
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