
- मेट्रो प्रोजेक्ट से डिवाइडर और ग्रीन बेल्ट हटाने के बदले निगम को मिले थे 10 करोड़
- अब उसी राशि से नए बनाए जा रहे हैं डिवाइडर
इंदौर। मेट्रो (मेट्रो) के कार्यों के दौरान रोबोट (Robot) से लेकर आईएसबीटी (ISBT) तक कई जगह ग्रीन बेल्ट (Green Belt) हटाए गए थे और सेंटर डिवाइडर (dividers) तोड़े गए थे, जिसको लेकर मेट्रो प्रोजेक्ट ने नगर निगम को 10 करोड़ की राशि का चेक पिछले दिनों दिया था। अब उसी राशि के आधार पर नगर निगम उक्त क्षेत्रों में नए सेंटर डिवाइडर बनवा रहा है। इनका काम अधिकांश पूरा हो चुका है। अब उनकी साज-सज्जा की तैयारी है। डिवाइडरों के बीच आकर्षक पौधे से लेकर लाइटिंग लगाने के काम होंगे और यहां शहर के सबसे बेहतर डिवाइडर बनाए जाएंगे।
आज दोपहर में बापट चौराहे पर सेंटर डिवाइडर का निर्माण कर रहे अलग-अलग फर्म के संचालकों को बुलाया गया है, ताकि निगम अधिकारियों के साथ उस क्षेत्र में निरीक्षण कर डिवाइडरों की स्थिति देखी जा सके और साथ ही वहां होने वाले कार्यों को लेकर मौके पर ही निर्णय लिए जा सकें। नगर निगम द्वारा अलग-अलग फर्मों की मदद से रोबोट चौराहे से लेकर आईएसबीटी तक नए आकर्षक सेंटर डिवाइडर बनवाए जा रहे हैं और इनमें से अधिकांश का काम पूरा हो चुका है। पिछले दिनों नगर निगम द्वारा नक्षत्र गार्डन के समीप आकर्षक सेंटर डिवाइडर बनाए गए थे, जो अब तक के सबसे बेहतर थे और अब उससे भी बेहतर डिवाइडर बनाने की तैयारी है। जहां काम पूरे हो चुके हैं अब वहां डिवाइडरों के बीचोबीच पौधारोपण से लेकर आकर्षक विद्युत साज-सज्जा के कार्य शुरू कराए जाएंगे। निगम अधिकारियों का कहना है कि 10 करोड़ की राशि से डिवाइडरों के साथ-साथ पौधे और विद्युत साज-सज्जा के कार्य कराए जाएंगे और अगर राशि कम पड़ती है तो निगम अपनी ओर से देगा। आज निरीक्षण के दौरान वहां उद्यान विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया गया है, ताकि डिवाइडरों में कितनी ऊंचाई के किस प्रकार के पौधे लगाए जाएं, इस पर भी चर्चा होगी और एक से दो माह के अंतराल में सारा काम पूरा करने की तैयारी है।
डिवाइडरों का रखरखाव भी ठेके पर देने की तैयारी
निगम अब तक शहर के कई स्थानों पर बेहतर डिवाइडर बनाता रहा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में स्थिति बदतर हो जाती रही है। इसी के चलते इस बार निगम सेंटर डिवाइडरों को लेकर खास प्लान बना रहा है और पहले दौर में डिवाइडरों को सजाने-संवारने के साथ-साथ वहां किए गए कार्यों के मेंटेनेंस के लिए संबंधित फर्म को ही देने की तैयारी है। अगर संबंधित फर्म मेंटेनेंस का ठेका नहीं लेगी तो निगम नए सिरे से मेंटेनेंस के लिए टेंडर जारी करेगा।