नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) के आरोपों को पूरी तरह के खारिज कर दिया है, जिसमें उसने कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और बुरा बर्ताव किया जाता है. भारत ने कहा है कि USCIRF की रिपोर्ट में जो दावा किया गया है वह पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है. अमेरिकी संस्था का यह प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए वास्तविक चिंता के बजाय उसके किसी खास एजेंडे को दर्शाता है. भारत की छवि को कमजोर करने के ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि USCIRF ने एक बार फिर अपना पैटर्न जारी रखा है. वह प्रोपेगेंडा फैला रही है और भारत को बदनाम करना चाहती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से USCIRF ने अलग-अलग घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और भारत के जीवंत बहुसांस्कृतिक समाज पर संदेह व्यक्त करने की कोशिश की है, हम उसके इस एजेंडे को कामयाब नहीं होने देंगे.
जायसवाल ने कहा कि भारत में 1.4 अरब लोग रहते हैं जो मानव जाति के सभी धर्मों के अनुयायी हैं. हालांकि, हमें कोई उम्मीद नहीं है कि USCIRF भारत के बहुलवादी ढांचे की वास्तविकता से जुड़ेगा या अलग-अलग समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को स्वीकार करेगा. लोकतंत्र और सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में भारत की छवि को कमजोर करने के ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे.
USCIRF ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. अल्पसंख्यकों के साथ बुरा व्यवहार होता है. उसके खिलाफ हमले और भेदभाव बढ़ता जा रहा है. भारत में अल्पसंख्यक सेफ नहीं हैं. इसके साथ ही भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर बैन की करने की भी मांग की गई है. इसमें ये भी दावा किया गया है कि भारतीय खुफिया एजेंसी विदेशों में हत्याएं करा रही हैं. इस रिपोर्ट में भारत को विशेष चिंता वाला देश घोषित करने की भी सिफारिश की गई है.
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