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पटोले, नवाब मलिक से लेकर जीशान तक, महाराष्ट्र की हॉट सीटों पर दिग्गजों की लुटिया डूबी

November 23, 2024

डेस्क। महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के नतीजे (Results) शनिवार को आ रहे हैं। इससे पहले राज्य में काफी सरगर्मी देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव इस बार कई मायनों में खास रहा है। इस चुनाव में लोगों की दिलचस्प उन सीटों (Seats) पर भी है जहां बड़े चेहरे मैदान में उतरे। इस सियासी रण में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री से लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री (Former Deputy Chief Ministers) और पार्टी (Party) के प्रदेश अध्यक्षों (State Presidents) तक की किस्मत का फैसला होनीा है।

एकनाथ शिंदे: इस चुनाव में ठाणे जिले की कोपरी-पाचपाखाडी विधानसभा सीट सबसे प्रमुख सीटों में से एक है। यहां से शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चुनाव लड़ रहे हैं। वह 2009 से कोपरी-पाचपाखाडी सीट पर अपराजित रहे हैं। 2019 में शिंदे ने कोपरी-पाचपाखाडी सीट पर कांग्रेस के घाडिगांवकर पांडुरंग को 89300 मत के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने दिवंगत नेता आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ उतारकर बड़ा दांव चला है। आनंद दिघे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुरु रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी सीट से 110556 वोटों से आगे चल रहे हैं।

देवेंद्र फडणवीस: महाराष्ट्र चुनाव में नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट भी काफी अहम है। यहां से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मैदान में हैं। 1999 में उनकी महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर विधायक एंट्री हुई, जो अभी तक जारी है। 1999 और 2004 में फडणवीस नागपुर पश्चिम सीट से चुनाव जीते। परिसीमन के बाद जब नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट बनी तो फडणवीस ने यहां से चुनाव लड़ा और फिर विधायक बने। पिछले चुनाव में भी देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस के डॉ. आशीष देशमुख को 49,344 वोट से हराया था। इस बार उनके सामने कांग्रेस के प्रफुल्ल विनोद गुडाधे किस्मत आजमा रहे हैं। 2014 में भी ये दोनों उम्मीदवार इस सीट पर आमने-सामने थे। देवेंद्र फडणवीस अपनी सीट से 33864 वोटों से आगे चल रहे हैं।

अजित पवार: पुणे जिले की बारामती विधानसभा सीट हमेशा की तरह 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी खास बनी हुई है। ये वही सीट है, जहां से कभी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार जीते थे। हालांकि, पिछले सात चुनावों में बारामती सीट से शरद पवार के भतीजे अजित पवार जीतते रहे हैं। 2019 में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले एनसीपी के अजित पवार थे। इन्होंने बारामती सीट से भाजपा के गोपीचंद कुंडलिक पडलकर को 1,65,265 वोट के अंतर से चुनाव जीता था। अब अपने चाचा से अलग हो चुके अजित पवार एक बार फिर बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां के मुकाबले की एक और दिलचस्प कड़ी यह है कि अजित पवार के सामने उनके भतीजे युगेंद्र पवार खड़े हैं। युगेंद्र शरद पवार वाली एनसीपी के उम्मीदवार हैं। अजित पवार अपनी सीट से 82505 के बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं।

नाना पटोले: राज्य के भंडारा जिले की साकोली सीट भी चर्चित सीटों में शुमार है। यहां से महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले चुनावी मैदान में उतरे हैं। पटोले साकोली सीट से चार बार के विधायक हैं। महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया सीट से पूर्व भाजपा सांसद नाना पटोले जनवरी 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गए। पटोले मूल रूप से कांग्रेस में थे, लेकिन कुछ समय के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछली बार कांग्रेस के नाना पटोले ने भाजपा के डॉ. परिणय फुके को 6240 मत से हराया था। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के नाना पटोले के सामने साकोली में भाजपा ने पार्टी में एक दिन पहले आने वाले अविनाश ब्राह्मणकर को अपना उम्मीदवार बनाया। अविनाश एनसीपी के भंडारा जिला परिषद के समूह नेता थे। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पटोले फिलहाल महज 123 वोटों से पीछे चल रहे हैं।

बालासाहेब थोराट: अहिल्यानगर जिले की संगमनेर विधानसभा सीट के चुनावी मुकाबले पर भी लोगों की नजर है। यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कई सरकारों में मंत्री रहे बालासाहेब थोरात एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। थोराट ने 1985 में अपना पहला चुनाव निर्दलीय के रूप में जीता था और उसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में बिना किसी चुनाव में हारे आठ विधानसभा चुनाव जीते। इस चुनाव में बालासाहेब थोराट के खिलाफ शिवसेना की तरफ से युवा नेता अमोल खताल उम्मीदवार हैं। 2019 में कांग्रेस के बालासाहेब थोराट ने शिवसेना उम्मीदवार रामचन्द्र नवाले को 62252 वोट से हराया था। थोराट अब तक के रुझानों में पीछे चल रहे हैं।

पृथ्वीराज चव्हाण: सतारा जिले की दक्षिण कराड सीट पर दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। यहां 78 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण विधानसभा में लगातार तीसरी बार जीतने के लिए मैदान में उतरे हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत मानी जाती रही है और इससे पहले वरिष्ठ नेता यशवंतराव मोहिते और विलासराव पाटिल उंडालकर इस सीट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। दक्षिण कराड निर्वाचन क्षेत्र लंबे समय से पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और भाजपा के बीच लड़ाई का मैदान रहा है। पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के डॉ. अतुल भोसले को 9130 मत से हराया था। दक्षिण कराड निर्वाचन क्षेत्र में चव्हाण का भाजपा के 41 वर्षीय एमबीबीएस डॉक्टर अतुल भोसले से हुआ। पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान फिलहाल पीछे चल रहे हैं।

आदित्य ठाकरे vs मिलिंद देवड़ा: महाराष्ट्र की सियासत में अहम स्थान रखने वाले ठाकरे परिवार के दो सदस्य आदित्य और अमित इस चुनाव में उतरे हैं। करीब ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे उद्धव ठाकरे खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन उनके बेटे आदित्य वर्ली सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। आदित्य शिवसेना के एक प्रमुख नेता और युवा सेना के अध्यक्ष हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आदित्य ने मुंबई में अपनी पार्टी शिवसेना के गढ़ वर्ली सीट पर बहुजन रिपब्लिकन सोशलिस्ट पार्टी के सुरेश माने को 70 हजार से अधिक वोट से हराया था। इस चुनाव में पूर्व मंत्री का सामना पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा से है। देवड़ा एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरे। इसके अलावा मनसे ने राज ठाकरे के करीबी सहयोगी माने-जाने वाले संदीप देशपांडे को अपना उम्मीदवार बनाया। आदित्य ठाकरे अपने प्रतिद्वंद्वी मिलिंद देवड़ा से फिलहाल आगे चल रहे हैं।

अमित ठाकरे: मध्य मुंबई की माहिम विधानसभा सीट तीन सेनाओं के मुकाबले में फंस गई। इस सीट से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार चुनावी मैदान में उतरे। भतीजे अमित के सामने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने महेश सावंत को टिकट दिया। वहीं भाजपा ने अमित ठाकरे को समर्थन दिया, जबकि उसकी सहयोगी एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अपने मौजूदा विधायक सदा सरवणकर को मैदान में उतारा। अमित ठाकरे पीछे चल रहे हैं और तीसरे नंबर पर हैं।

रोहित पवार: शरद पवार के पोते रोहित पवार भी एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे। वह कर्जत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी के उम्मीदवार थे। रोहित पवार के सामने भाजपा ने पूर्व मंत्री राम शंकर शिंदे को फिर से मौका दिया। 2019 में भी कर्जत जामखेड में रोहित पवार बनाम राम शंकर शिंदे का मुकाबला हुआ था। पिछले चुनाव में 25 साल से भाजपा का गढ़ रहे कर्जत-जामखेड में रोहित पवार ने देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री राम शंकर शिंदे को हराकर भाजपा का किला भेद दिया। रोहित यह चुनाव 43347 वोट से जीतने में सफल हुए थे। रोहित पवार 700 वोट से आगे चल रहे हैं।

नितेश राणे: पूर्व मुख्यमंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद नारायण राणे के दोनों बेटों को इस चुनाव के लिए टिकट दिए गए। भाजपा ने कोंकण की कणकवली सीट से एक बार फिर से नारायण राणे के छोटे बेटे नितेश राणे को मौका दिया। कणकवली में नितेश के सामने शिवसेना ने संदेश पारकर को अपना उम्मीदवार बनाया। नीतेश राणे अपनी सीट से 50,000 से वोट से आगे चल रहे हैं।


नीलेश राणे: नारायण के बड़े बेटे नीलेश राणे को समझौते के तहत शिवसेना से टिकट दिया गया। नीलेश राणे हाल ही में एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल हुए थे। उनका मुकाबाला शिवसेना के उम्मीदवार वैभव नाइक से हुआ। नीलेश राणे अपनी सीट से आगे चल रहे हैं।

अमित देशमुख: पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दो बेटों अमित देशमुख और धीरज देशमुख को कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़े। विलासराव देशमुख 1999 से 2003 तक और 2004 से 2008 तक दो बार मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस ने विलासराव के बड़े बेटे अमित को लातूर शहर से प्रत्याशी बनाया। लातूर शहर में कांग्रेस के अमित देशमुख का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल से हुआ। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल चाकुरकर 2024 के आम चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। अमित देशमुख आगे आगे चल रहे हैं।

धीरज देशमुख: विलासराव देशमुख के छोटे बेटे धीरज देशमुख को कांग्रेस ने लातूर ग्रामीण से टिकट दिया। उनका मुकाबला भाजपा के एमएलसी रमेश कराड से हुआ। धीरज फिलहाल पीछे चल रहे हैं।

श्रीजया चव्हाण: मराठवाड़ा क्षेत्र की भोकर विधानसभा सीट पर भाजपा ने चव्हाण परिवार से आने वाली श्रीजया चव्हाण को प्रत्याशी बनाया। तीसरी पीढ़ी की नेता श्रीजया का इस चुनाव में कांग्रेस के तिरूपति राव बाबू कदम कोंडेकर से मुकाबला हुआ। श्रीजया चव्हाण के पिता अशोक चव्हाण और दादा शंकरराव चव्हाण दोनों ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। चव्हाण परिवार का दबदबा लातूर जिले में रहा है। भोकर महाराष्ट्र की ऐसी विधानसभा सीट है जिस पर अभी तक भाजपा का खाता नहीं खुल सका है। इस सीट पर भाजपा की सहयोगी शिवसेना चुनाव लड़ती रही है। यह सीट चव्हाण परिवार की परंपरागत सीट रही है। श्रीजया के पिता अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे, लेकिन फरवरी 2024 में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2008 से 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। वहीं अशोक चव्हाण के पिता शंकरराव चव्हाण 1975 से 1977 तक और 1986 से 1988 तक दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। चव्हाण फिलहाल आगे चल रहीं हैं।

अबू आजमी vs नबाव मलिक: मुंबई उपनगरीय क्षेत्र की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पूरे चुनाव में चर्चा में रही। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ क्योंकि यहां सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आजमी एमवीए के उम्मीदवार थे। मानखुर्द शिवाजी नगर एक ऐसी सीट थी जहां महायुति के दो-दो उम्मीदवार आपस में लड़े। यहां से पूर्व मंत्री नबाव मलिक ने एनसीपी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने की अंतिम तिथि को पर्चा भर दिया। जबकि इस सीट पर शिवसेना के सुरेश कृष्ण पाटिल को भाजपा ने गठबंधन का ‘आधिकारिक’ उम्मीदवार बताया। देवेंद्र फडणवीस, आशीष शेलार समेत भाजपा के कई नेताओं ने मलिक की उम्मीदवारी का विरोध किया। 2019 में सपा के अबू आजमी ने शिवसेना के गोविंद लोकारे विट्ठल को 25601 मत से हराया था। अबू आजमी फिलहाल नवाब मलिक से आगे चल रहे हैं। नवाब मलिक चौथे नंबर पर हैं।

सना मलिक: अणुशक्ति नगर सीट से नवाब मलिक की बेटी भी चुनाव लड़ रही हैं। जब एनसीपी की सहयोगी भाजपा ने विधानसभा चुनाव में नवाब मलिक की उम्मीदवारी का विरोध किया तो पार्टी ने नवाब की जगह उनकी बेटी को टिकट दे दिया। अणुशक्ति नगर में सना का मुकाबला अभिनेत्री स्वरा भास्कर के पति फहाद अहमद से हुआ। फहाद शरद पवार की पार्टी से चुनाव लड़े। पिछले चुनाव में यहां एनसीपी के टिकट पर उतरे नवाब मलिक ने शिवसेना उम्मीदवार तुकाराम रामकृष्ण काते को 12751 मत से शिकस्त दी थी। फहाद अहमद मामूली अंतर से आगे चल रहे हैं।

जीशान सिद्दीकी: इस चुनाव में मुंबई की वांद्रे पूर्व सीट हॉट सीटों में शामिल रही। एनसीपी के दिवंगत नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी यहां से चुनाव मैदान में उतरे। हाल ही में कांग्रेस से एनसीपी में आए जीशान का मुकाबला शिवसेना यूबीटी के नेता वरुण सरदेसाई और मनसे की तृप्ति सावंत से हुआ। 2019 के चुनावों में जीशान ने बतौर कांग्रेस उम्मीदवार शिवसेना के विश्वनाथ महादेवेश्वर को 5,790 वोट से हराया था। जीशान सिद्दिकी फिलहाल पीछे चल रहे हैं।

आशीष शेलार: वांद्रे पश्चिम विधानसभा सीट महाराष्ट्र की प्रतिष्ठित सीटों में से एक है। भाजपा ने एक बार फिर वांद्रे पश्चिम से मुंबई इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री आशीष शेलार पर भरोसा जताया। उनके सामने कांग्रेस ने आसिफ अहमद जकारिया को चुनावी मैदान में उतारा। वह दो बार से इस सीट से विधायक हैं और बीसीसीआई के मानद कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के आशीष ने कांग्रेस के आसिफ अहमद जकारिया को 26507 मत से शिकस्त दी थी। आशीष शेलार अब तक के रुझानों में आगे चल रहे हैं।

राहुल नार्वेकर: मुंबई की कोलाबा सीट भी कई मायनों में खास है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां मंत्रालय, विधान भवन परिसर, बॉम्बे उच्च न्यायालय, मुंबई विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित गेटवे ऑफ इंडिया स्थित हैं। मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष और भाजपा नेता राहुल नार्वेकर की प्रतिष्ठा दांव पर है। वह शिवराज पाटिल के बाद देश में किसी भी राज्य के स्पीकर चुने जाने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। 47 साल के नार्वेकर 2019 में पहली बार विधायक बने थे। पिछली बार कोलाबा निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस के अशोक अर्जुनराव उर्फ भाई जगताप को 16195 मत से पराजित किया था। राहुल नार्वेकर अब तक के रुझानों में आगे चल रहे हैं।

छगन भुजबल: स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े येवला की इस बार की सियासी लड़ाई दिलचस्प है। नासिक जिले की इस सीट से मंत्री छगन भुजबल चुनाव मैदान में थे। येवला में लगातार चार बार जीतकर उन्होंने इसको एनसीपी का गढ़ बना दिया। एनसीपी में टूट के बाद वह अजित पवार को समर्थन देकर शिंदे सरकार में मंत्री बने। इस चुनाव में छगन का मुकाबला मणिकराव शिंदे से हुआ जो एनसीपी के उम्मीदवार थे। मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जारांगे पाटिल के खिलाफ मोर्चा संभाले छगन भुजबल और माणिकराव शिंदे के बीच मराठा-ओबीसी के संभावित ध्रुवीकरण के चलते सियासी लड़ाई कड़ी रही। छगन भुजवल अब तक के रुझानों में आगे चल रहे हैं।

जितेंद्र आव्हाड: ठाणे जिले की मुंब्रा-कलवा विधानसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी हैं। इस क्षेत्र में एनसीपी और एनसीपी के बीच टक्कर रही। मुंब्रा-कलवा विधानसभा क्षेत्र एनसीपी का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर 2009 से जितेंद्र आव्हाड का कब्जा है। महायुति ने जितेंद्र के खिलाफ नजीब मुल्ला को टिकट दिया है। 2019 में आव्हाड ने शिवसेना की दीपाली जहांगीर सैय्यद को 75639 वोट से हराया था। अब तक के रुझानों में आव्हाड आगे चल रहे हैं।

सुनील राउत: मुंबई के विक्रोली विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक है। शिवसेना के सांसद संजय राउत के भाई सुनील राउत विक्रोली विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार यानी 2014 और 2019 में चुने गए हैं। पिछले चुनाव का नतीजा देखें तो शिवसेना के टिकट पर लड़े सुनील राउत ने एनसीपी के धनंजय पिसल को 27841 वोट से हराया था। विक्रोली विधानसभा क्षेत्र में इस बार सुनील राउत के सामने शिंदे गुट की सुवर्णा करंजे और एमएनएस के विश्वजीत ढोलम की चुनौती थी। चुनाव प्रचार के दौरान सुवर्णा करंजे को लेकर सुनील राउत की आपत्तिजनक टिप्पणी काफी चर्चा में रही थी। सुवर्णा ने सुनील के खिलाफ थाने में मामला भी दर्ज कराया था। सनील राउत अब तक के रुझानों में आगे चल रहे हैं।

संजय निरुपम: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की दिंडोशी सीट भी चर्चित है। यहां से पूर्व सांसद संजय निरुपम मैदान में थे। निरुपम ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में घर वापसी कर ली थी। उनका मुकाला जिन सुनील प्रभु से हुआ वो बीएमसी के चार बार पार्षद रहने के साथ मुंबई के मेयर रह चुके हैं। 2019 में शिवसेना के सुनील प्रभु ने एनसीपी की विद्या चव्हाण को 44511 वोट से शिकस्त दी थी।शिवसेना नेता संजय निरुपम अब तक के रुझानों में 800 वोटों से आगे चल रहे हैं।

अदिति तटकरे: रायगढ़ जिले में श्रीवर्धन विधानसभा क्षेत्र पर भी लड़ाई दिलचस्प है। शिंदे सरकार में एकमात्र महिला मंत्री अदिति तटकरे श्रीवर्धन से चुनाव मैदान में थीं। एनसीपी के टिकट पर उतरीं अदिति अजित पवार की पार्टी के एकलौते लोकसभा सांसद (रायगढ़) और पूर्व मंत्री सुनील तटकरे की बेटी हैं। श्रीवर्धन में महाविकास अघाड़ी के अनिल नवगाने और निर्दलीय राजेंद्र ठाकुर अदिति तटकरे के खिलाफ मैदान में थे। 2019 के चुनाव में अदिति तटकरे ने शिवसेना के विनोद घोसालकर को 39621 वोट से हराया था। आदित तटकरे अब तक के रुझानों में आगे चल रहीं हैं।

धनंजय मुंडे: बीड जिले की परली विधानसभा सीट हर बार की तरह इस चुनाव में भी खास है। यह ऐसी सीट है जहां कभी भाजपा के बड़े नेता गोपीनाथ मुंडे का दबदबा रहा है। यहां से इस बार राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे महायुति के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े। एनसीपी नेता धनंजय का मुकाबला एमवीए के राजेसाहेब देशमुख से हुआ। राज साहब देशमुख कांग्रेस के जिला अध्यक्ष थे लेकिन हाल ही में शरद पवार गुट में शामिल हो गए और एनसीपी के उम्मीदवार बने। पिछली बार भाई के खिलाफ चुनाव लड़ीं भाजपा की पंकजा मुंडे इस बार भाई के साथ चुनावी रैलियों में दिखीं। 2019 में विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस के टिकट पर उतरे धनंजय मुंडे ने भाजपा की टिकट पर उतरीं बहन पंकजा मुंडे को 30701 वोट से हरा दिया था। धनंजय मुंडय परली विधानसभा सीट से आगे चल रहे हैं।

सलिल देशमुख: नागपुर जिले की काटोल का मुकबला भी रोमांचक है। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख शरद पवार की पार्टी के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा। अनिल देशमुख 2019 से 2021 तक महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आरोपों के कारण देशमुख ने 2021 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अनिल को ईडी ने गिरफ्तार किया था और अदालत के आदेश से रिहा हुए थे। पहले पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के कटोल से चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया कि टिकट उनके बेटे सलिल को दिया जाए। यह बेहद दिलचस्प है कि अजित पवार की एनसीपी ने सलिल देशमुख के सामने उनके पिता के नाम वाले अनिल देशमुख ही चुनाव लड़ रहे हैं। अपने पिता के नाम के वाले प्रत्याशी के अलावा, सलिल को भाजपा के अनुभवी नेता और कटोल नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष चरणसिंह ठाकुर से भी चुनौती मिल रही है। 2019 में एनसीपी के अनिल देशमुख ने भाजपा के चरणसिंह ठाकुर को 17057 वोट से हराया था। सलिल देशमुख अब तक के रुझानों में पीछे चल रहे हैं।

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