नई दिल्ली: नीट पेपर लीक मामले की जांच तेज हो गई है. सीबीआई की एक टीम पटना और एक टीम गुजरात के गोधरा पहुंच चुकी है और जल्द ही केस के आईओ जांच अधिकारी से मिलकर केस की डिटेल्स लेगी.
सूत्रों के मुताबकि, सीबीआई की पूरी जांच चार चरणों के बीच की उस कमी को ढूंढने में है, जिसमें एग्जाम के पेपर को बनाने, उसकी प्रिंटिंग, उसको देश के अलग अलग हिस्सों में भेजने के ट्रांसपोर्टेशन, और एग्जामिनेशन सेंटर में पेपर को बांटने की प्रक्रिया के बीच की कमी का फायदा उठाकर पेपर लीक करने वालों का पता लगाना है.
सूत्रों के मुताबिक, NTA द्वारा बनाई गई इस पूरी प्रक्रिया को बेहद गोपनीय रखने का प्रावधान है. बावजूद इसके किस चरण में खामियां ढूंढकर कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर पेपर लीक करवाया गया, इसका पता लगाना सीबीआई की सबसे बड़ी प्राथमिकता है.
इसके साथ ही CBI के रडार पर NTA के वो अधिकारी भी हैं, जिनकी सीधी भूमिका पेपर को करवाने की होती है. क्वेश्चन पेपर को तैयार करने वाले, उस पेपर की प्रिंटिंग करवाने वाले, प्रिंटिंग करने वाले, पेपर को देश के अलग अलग राज्यों तक पहुंचाने और एग्जाम होने तक उनको सुरक्षित स्टोर करके रखने वाले समेत ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास एग्जाम से कुछ घंटों पहले तक पेपर सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है.
सीबीआई इसी पूरी चेन के बीच की उस लीकेज का पता लगाने की कोशिश करेगी. सीबीआई एक हजार फोन नंबरों के डेटा की मदद से पेपर लीक करने वालों को भी ढूंढ रही हैं. नीट और यूजीसी- नेट पेपर लीक मामले की जांच में जुटी सीबीआई के लिए उसके पास मौजूद 1000 नाम और नंबरों का वो डेटा किसी संजीवनी से कम नही है, जो सीबीआई ने व्यापम समेत पेपर लीक के दर्जनों केस की जांच करने के दौरान बनाया था.
सीबीआई इस 1000 नाम और नंबरों के डेटा की भी मदद ले रही है ताकि अभी तक कि जांच में सामने आए नाम और उनके मोबाइल नंबरों को डेटा बेस में डालकर पेपर लीक करने वाले नेक्सस और मॉड्यूल के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.
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