अब वाहनों के फिटनेस की बला
पहले 1 अप्रैल 2023 से लागू होना था नियम, लेकिन ज्यादातर राज्यों में स्टेशन ना होने से ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर समय बढ़ाया
नए समय तक भी प्रदेश में सेंटर तैयार होना मुश्किल
इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर (Indore) सहित पूरे देश में खटारा वाहनों का चलना मुश्किल होगा। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय (Union Ministry of Transport) द्वारा देश में 1 अक्टूबर 2024 से सभी यात्री और माल वाहनों का फिटनेस ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (Fitness Automated Testing Stations) से करने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। हालांकि इंदौर सहित प्रदेश में अभी कहीं भी ऐसा कोई स्टेशन मौजूद नहीं है और डेढ़ साल से भी कम समय में ऐसा स्टेशन बन पाना मुश्किल है।
केंद्र सरकरा (Central Govt.) द्वारा लगातार बढ़ रहे सडक़ हादसों की समीक्षा करते हुए पाया था कि ज्यादातर हादसे खटारा वाहनों के कारण होते हैं, वहीं इन वाहनों के कारण प्रदूषण के स्तर में भी बढ़ोतरी होती है। इसे देखते हुए 2018 में योजना बनाई गई थी कि देश में सभी कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट मैन्युअली करने के बजाए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (एटीएस) के माध्यम से किया जाए। कई बार इसे अनिवार्य करने की घोषणा भी की गई, लेकिन स्टेशनों से अभाव में व्यवस्था लागू नहीं हो पाई। इस साल भी 16 जनवरी को ही केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए 1 अप्रैल से देश में सभी भारी माल और यात्री वाहनों का फिटनेस टेस्ट एटीएस के माध्यम से करने के आदेश दिए थे, लेकिन मध्यप्रदेश सहित देश के ज्यादातर राज्यों में स्टेशन ना होने के कारण इसे स्थगित किया गया। इसके बाद मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि 1 अक्टूबर 2024 से सभी तरह के यात्री और माल वाहनों का फिटनेस एटीएस के जरिए ही होगा। इस पर मंत्रालय ने दावे-आपत्तिभी मंगवाए है।
अभी अक्षम अधिकारी ही ऊपर से देखकर कर रहे जांच और दे रहे फिटनेस सर्टिफिकेट
मोटर व्हीकल एक्ट कहता है कि किसी भी यात्री या माल वाहन को हर साल फिटनेस टेस्ट करवाना जरूरी है। इस टेस्ट को परिवहन विभाग के सक्षम अधिकारी जो वाहनों की जांच में एक्सपर्ट हों वे ही कर सकते हैं। टेस्ट के दौरान वाहनों की बाहरी जांच से लेकर आंतरिक जांच और वाहन को चलाकर भी देखना जरूरी होता है, लेकिन अभी इंदौर सहित देश के ज्यादातर आरटीओ में अक्षम अधिकारी ही बाहर से ही वाहन को देखकर यह टेस्ट कर रहे हैं। इस दौरान कई अनफिट वाहनों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है।
नई व्यवस्था में सिस्टम खुद चेक करेगा वाहन की हर कमी
ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन में वाहनों की फिटनेस जांच मैन्युअली होने के बजाए सिस्टम खुद करेगा। इसमें एक ट्रैक होता है, जिससे वाहन को गुजरना होता है। ट्रैक पर चलते वक्त वाहन के बाहरी हिस्सों से लेकर आंतरिक पुर्जों तक का परीक्षण सिस्टम खुद करता है और कोई भी कमी सामने आने पर वाहन को अनफिट घोषित कर देता है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद अनफिट वाहनों का फिटनेस पाना असंभव हो जाएगा और सिर्फ फिट वाहन ही सडक़ों पर चल पाएंगे।
मध्यप्रदेश में नहीं एक भी स्टेशन
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी मध्यप्रदेश में एक भी ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन नहीं है। ना ही इसके लिए कोई आवेदन आया है। ऐसी स्थिति में 1 अक्टूबर 2024 से इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू कर पाना संभव नजर नहीं आ रहा है। अधिकारी इसके लिए कई बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों से भी संपर्क कर रहे हैं कि वे खुद ही अपना स्टेशन तैयार करें।
इंदौर में सालों से हो रहा टेस्टिंग स्टेशन का इंतजार
एटीएस को पीपीपी मॉडल पर बनाए जाने को लेकर कुछ साल पहले ही केंद्र सरकार ने योजना तैयार की है, इंदौर आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि आरटीओ परिसर में ही यह स्टेशन बनाए जाने की योजना है। इसके लिए जमीन भी उपलब्ध है और इसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है। इसके लिए मंजूरी और फंड मिलता है तो जल्द इसे बनाया जा सकता है।
विभाग खुद भी कर रहा प्रयास निजी कंपनियों से भी संपर्क
1 अक्टूबर 2024से मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन के माध्यम से भी सभी श्रेणी के यात्री और माल वाहनों का फिटनेस टेस्ट होना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए शासन स्तर पर निजी कंपनियों से भी संपर्क किया जा रहा है, साथ ही विभाग खुद अपने स्तर पर प्रमुख आरटीओ ऑफिस में भी स्टेशन बनाने की योजना तैयार कर रहा है।
– अरविंद सक्सेना, एडिशनल ट्रांसपोर्र्ट कमिश्नर, भोपाल
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