नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में 1 मार्च से टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हो रहा है। कोरोना टीकाकरण के इस चरण में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और वैसे लोग जिनकी उम्र 45 साल से अधिक हैं और वह बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी टीका दिया जाएगा। हालांकि, इसके लिए कई प्रक्रिया है और शर्ते हैं। तो चलिए जानते हैं टीकाकरण अभियान से जुड़े सारे सवालों के जवाब।
एक मार्च से शुरू हो रहे तीसरे चरण में कौन टीकाकरण के लिए पात्र होगा?
मौजूदा चरण में सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं को टीका लगाया जा रहा है। एक मार्च से शुरू हो रहे तीसरे दौर में 60 साल से अधिक उम्र का कोई भी बुजुर्ग और 45 वर्ष से ऊपर के गंभीर बीमारियों से जूझ रहे सभी लोग टीका लगवा सकेंगे।
45 से 60 साल के लोग किन बीमारियों में टीकाकरण के पात्र होंगे?
केंद्र सरकार ने फिलहाल उन बीमारियों की सूची नहीं जारी की है, जिनके पीड़ित कोरोना टीकाकरण के लिए पात्र होंगे। हालांकि, मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कैंसर के मरीजों के अलावा वो लोग टीका लगवा सकेंगे, जिनका हृदय, लिवर, किडनी या फेफड़ों से जुड़े रोगों के अलावा स्ट्रोक का शिकार होने का इतिहास है।
45 पार लोगों के लिए बीमारी के प्रमाणन की क्या प्रक्रिया होगी?
लाभार्थियों को टीकाकरण केंद्र पर बीमारी से जुड़ा प्रमाणपत्र पेश करना पड़ेगा, जिस पर पंजीकृत चिकित्सक के दस्तखत होना अनिवार्य रहेगा।
लाभार्थियों का वेरिफिकेशन कैसे होगा?
सरकार की ओर से स्वीकृत 12 पहचानपत्रों से लाभार्थियों का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इनमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, मतदाता पहचानपत्र, पैन कार्ड, जनप्रतिनिधियों को जारी पहचानपत्र, बैंक/पोस्ट ऑफिस पासबुक, पासपोर्ट, पेंशन दस्तावेज, सरकारी कर्मचारियों का सेवा पहचानपत्र और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत जारी स्मार्ट कार्ड शामिल है। पहचानपत्र में दर्ज जानकारी का मिलान मतदाता सूची से किया जाएगा।
निजी अस्पतालों में टीका लगवाने पर कितना खर्च आएगा?
निजी अस्पतालों में निशुल्क टीकाकरण नहीं होगा। हालांकि, लाभार्थियों से कितना शुल्क वसूला जाएगा, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
क्या सरकार निजी अस्पताल में टीके की कीमत नियंत्रित करेगी?
सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, मामले से जु़ड़े अधिकारियों की मानें तो निजी अस्पतालों में टीकाकरण के लिए प्रति खुराक 400 रुपये कीमत तय की जा सकती है।
क्या कोविन ऐप पंजीकरण के लिए एकमात्र मंच होगा?
कोविड टीकाकरण के मामले में कोविन ऐप मुख्य लॉजिस्टिक टूल रहेगा। हालांकि, अभियान के वृहद पैमाने को देखते हुए सरकार पंजीकरण के अन्य मंच भी उपलब्ध कराने की योजना बना रही है।
किन अन्य ऐप, वेबसाइट को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है?
आरोग्य सेतु के अलावा सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त अन्य कोविड ऐप। जल्द ही टीकाकरण अभियान के लिए एक पोर्टल शुरू किया जा सकता है।
क्या सरकारी या निजी अस्पताल में सीधे जाकर टीका लगवाया जा सकेगा या फिर समय लेना होगा?
पंजीकरण करा चुके लाभार्थी सीधे अस्पताल पहुंचकर टीका लगवा सकेंगे। उन्हें अलग से समय लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
क्या लाभार्थियों को टीका चुनने का विकल्प मिलेगा?
इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। भारत में फिलहाल दो टीके (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मचारियों को चयन का विकल्प नहीं दिया गया था।
निजी अस्पतालों को टीके की आपूर्ति कैसे होगी?
अभी यह जानकारी सामने नहीं आई है कि सरकार निजी अस्पतालों को टीके की आपूर्ति करेगी या फिर उन्हें खुद वैक्सीन खरीदने की छूट देगी।
किन निजी अस्पतालों को टीकाकरण केंद्र बनाया जाएगा?
आयुष्मान भारत और केंद्र व राज्य सरकारों की स्वास्थ्य योजनाओं के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों को टीकाकरण की इजाजत दी गई है।
दूसरी खुराक कैसे ली जा सकती है?
-पहली खुराक लेने के बाद लाभार्थी मोबाइल ऐप से क्यूआर कोड आधारित प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकेंगे। वे टीकाकरण से जुड़ी जागरूकता सामग्री और आंकड़े भी हासिल कर पाएंगे।
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