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    शहर से लेकर गांव तक दिखेगा रुपये की गिरावट का असर, बढ़ेगी महंगाई

  • September 23, 2022

    नई दिल्ली। गुरुवार को रुपये (Rupees) ने एक बार फिर अपना पिछला निचला स्तर (bottom) तोड़कर गिरावट का नया स्तर (new level of decline) हासिल किया है। रुपये की इस कमजोरी का असर हर किसी पर पड़ेगा चाहे वह गांव (Village) में रहता हो या शहर (city) में। आयातक (importer), नियार्तक (exporter), विदेश में पढ़ने वाले छात्र, निवेशक, सामान्य उपभोक्ता सभी को रुपये की इस कमजोरी का असर (impact of rupee depreciation) झेलना होगा।

    डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की वजह दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की कल की ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यही नहीं यूरो और स्टर्लिंग समेत छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक सबसे ऊंचे स्तर 111.65 पर पहुंच गया है।

    एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और रूस तथा रूस-यूक्रेन के बीच तनाव और बढ़ने से प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी आई। अन्य एशियाई मुद्राओं की तरह रुपया भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के बाद भी रुपये में गिरावट का मौजूदा रुख जारी रह सकता है।


    बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत
    रुपये में जैसे-जैसे कमजोरी बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत भी बढ़ेगी। इसकी वजह है हमारे देश का बहुत सारी चीजों के लिए आयात पर निर्भर रहना। ज्यादातर आयात-निर्यात अमेरिकी डॉलर में ही होता है इसलिए बाहरी देशों से कुछ भी खरीदने के लिए हमें अधिक मात्रा में रुपये खर्च करने पड़ेंगे। हम अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी ईंधन यानी कच्चा तेल और कोयला आयात करते हैं। यूक्रेन संकट के बाद कच्चा तेल महंगा हुआ है। इससे आयात महंगा होता गया और व्यापार घाटा बढ़ता गया। कमजोर रुपये से आयात महंगा बना रहेगा और इससे घरेलू उत्पादन और जीडीपी को अल्पअवधि में नुकसान पहुंचेगा।

    महंगाई की मार में तेजी आएगी
    धिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल सब महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी जैसे आलू के चिप्स, नमकीन वगैरह।

    ब्याज दरों में इजाफा
    रुपये की कीमत में गिरावट होती है तो महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। आरबीआई को महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ता है। आरबीआई ने पिछले चार महीनों में महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में 1.4 फीसदी का इजाफा किया है। इसके कारण कर्ज लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई में इजाफा हो गया है।

    ब्याज दरों के बढ़ने से रोजगार सृजन पर लगाम
    दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के ब्याज बढ़ाने के बाद आरबीआई को भी दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इससे कर्ज महंगा हो रहा है। इससे एमएसएमई, रियल एस्टेट सेक्टर पर रोजगार सृजन पर लगाम लगाने का दबाब बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई रोकने के उपायों से अर्थव्यस्था का चक्का रुकेगा।

    व्यापार घाटा बढ़ा
    देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा। भले इस अवधि में देश का एक्सपोर्ट 23.5% बढ़ा है, लेकिन इसके मुकाबले में आयात कहीं और ज्यादा बढ़ा है। जून 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 57.55% बढ़ गया है। ऐसे में व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून 2021 में भारत का व्यापार घाटा महज 9.60 अरब डॉलर था।

    आरबीआई लगातार कर रहा प्रयास
    इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट आई है। रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास नाकाफी दिखाई दे रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के आंकड़े बता रहे हैं कि रिजर्व बैंक लगातार खुले बाजार में अपने डॉलर की बिकवाली कर रहा है।

    रुपये के कमजोर होने से इन क्षेत्रों को नुकसान
    कच्चा तेल: कच्चे तेल के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी होगी।

    उर्वरक: भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। आयात करने वालों को यह अधिक दाम में कम मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधा नुकसान होगा।

    इलेक्ट्रॉनिक सामान: कमजोर रुपये से कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान होगा। रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा।

    विदेश में शिक्षा महंगीः जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनके माता-पिता के लिए भी नया सिरदर्द पैदा होगा। उनके माता-पिता को अब पहले से ज्यादा रुपये भेजने होंगे।

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