– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
नरेन्द्र मोदी के शासन में भारत और फ्रांस के सम्बन्ध बहुत मजबूत हुए हैं। आपसी विश्वास कायम हुआ है। फ्रांस ने अपने राष्ट्रीय दिवस के मुख्य समारोह में नरेन्द्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। इसके पहले मोदी ने पेरिस में “नमस्ते फ्रांस’ के नाम से एक कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। उन्होंने अपना चालीस साल पुराने फ्रांस से जुड़े एक कार्ड का उल्लेख किया। तब अहमदाबाद में फ्रांस का एक सांस्कृतिक केंद्र शुरू किया गया था। नरेंद्र मोदी इसके पहले सदस्य थे। इसी तरह फ्रांस के राष्ट्रपति ने इमैनुअल मेक्रों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह महादेव और माँ विंध्यवासिनी की नगरी की यात्रा करेंगे। नरेंद्र मोदी की विदेश नीति में ऐसे तत्व भी शामिल रहते हैं। वह विंध्याचल के पास छानवे ब्लॉक गए थे। यहां विंध्याचल धाम की चुनरी से उनका स्वागत किया गया था। यहाँ से वह दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी भोले बाबा की काशी पहुंचे। गंगा में नौका विहार किया। हर-हर महादेव का परंपरागत उद्घोष होता रहा था।
नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा में ये प्रसंग भी चर्चा में रहे। यहां नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रपति ईमेनुअल, प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न और सीनेट अध्यक्ष जेरार्ड लार्चर के साथ बैठकें हुई। आर्थिक और व्यापार,ऊर्जा, पर्यावरण, शिक्षा, रेलवे, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और लोगों से लोगों के संपर्क जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत और फ्रांस के बीच बहुआयामी सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई। पेरिस के प्रेसिडेंट पैलेस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार देर रात उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से नवाजा। वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं।
नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस में बसे प्रवासियों से भारत में निवेश की भी अपील की। साथ ही ये भी बताया कि फ्रांस और भारत के बीच डिजिटल पेमेंट को लेकर करार हुआ है। इसके तहत फ्रांस में भारत के यूपीआई से पेमेंट की जा सकेंगी। उन्होंने कहा जल्द ही इसकी शुरुआत एफिल टावर से होगी। भारत इस समय G20 की अध्यक्षता कर रहा है। पहली बार किसी देश की अध्यक्षता में ऐसा हो रहा है कि उस देश के कोने-कोने में दो सौ से ज्यादा बैठकें हो रही हैं। पूरा G20 समूह भारत की सामर्थ्य को देख रहा है। दोनों के बीच इतना विश्वास और सहयोग का माहौल पहले कभी नहीं था। यह विस्तार भी अभूतपूर्व है। इसमें सुदूर मिर्जापुर के छानबे ब्लाक से लेकर हिन्द महासागर का इलाका भी शामिल हुआ था फ्रांस बड़ी मात्रा में निवेश पर सहमत है।
जहाँ निवेश किया है, उस जगह जाना भी विदेशी राष्ट्रपति के लिए सुखद होता है। फ्रांस के राष्ट्रपति विंध्याचल यात्रा का यही उद्देश्य था। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और परमाणु ऊर्जा के अहम समझौते हुए थे। दोनों देश एक-दूसरे के जंगी जहाजों के लिए अपने नौसैनिक अड्डे खोलने के लिये राजी हुए थे। रक्षा और सामरिक जानकारी की उचित गोपनीयता भी कायम रखे जाने पर सहमति बनी थी। यह सहमति चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के मद्देनजर बनाई गई थी। सामुद्रिक और सामरिक समझौतों से चीन की विस्तारवादी चाल का मुकाबला किया जा सकेगा। दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल और साजो-सामान का आदान प्रदान भी कर सकेंगे। युद्ध अभ्यास, प्रशिक्षण, आपदा राहत कार्यों में दोनों देश सहयोग करेंगे। इसके अलावा शिक्षा, पर्यावरण, शहरी विकास, रेलवे, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग जारी है। आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति पर अमल किया जा रहा है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिक क्षेत्र में आपसी सहयोग तेज किया गया है। इसका प्रयोग समुद्री क्षेत्र में किया जा रहा है।
परमाणु सहयोग के तहत जैतापुर संयंत्र का कार्य जल्दी पूरा करने का करार हुआ था। यहाँ छह परमाणु संयंत्र लगाए जा रहे हैं। इसकी क्षमता सोलह सौ पचास मेगावाट होगी। महाराष्ट्र के तट पर बनने वाला यह देश का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पार्क होगा। दोनों देशों का व्यापार अगले कुछ वर्षों में पन्द्रह अरब यूरो तक पहुँचने की संभावना है। इसका रोडमैप बना लिया गया है। दोनों देशों की कम्पनियों ने अलग से पन्द्रह अरब डॉलर के समझौते किये थे।
मोदी की यह फ्रांस यात्रा अनेक अर्थों में उपयोगी है। इससे द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों में बहुत सुधार हुआ। आपसी सहयोग आगे बढ़ा। चीन की विस्तारवादी गतिविधियों के विरोध में अब फ्रांस भी भारत के साथ आ गया है। फ्रांस ने माना कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति बहुत मजबूत हुई है। इसीलिए फ्रांस ने चीन के मुकाबले भारत का खुलकर साथ देने का निर्णय किया है। हिन्द महासागर में चीन कृत्रिम बन्दरगाह और सैन्य ठिकाने बना रहा है। शांति चाहने वाले देशों के लिए यह चिंता का विषय है। ऐसे में फ्रांस के साथ हुआ समझौता बेहद महत्वपूर्ण है। फ्रांस और भारत मिलकर उपग्रह से भी यहां निगरानी करेंगे। दोनों देशों के सैनिक संयुक्त कार्यवाही भी करेंगे। इसके साथ ही आतंकवाद के मुकाबले का साझा मंसूबा भी महत्वपूर्ण है। अन्य देशों के मुकाबले फ्रांस का इसे लेकर दोहरा मापदंड नहीं है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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