बीजिंग (Beijing) । ईरान (Iran) के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (President Ibrahim Raisi) इन दिनों चीन (China) के दौरे पर पहुंचे हैं। पश्चिमी देशों (western countries) और अमेरिका (America) के दबाव के बीच चीन और ईरान के बीच इस तरह की करीबी ना केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए बहुत मायने रखती है। रईसी पहली बार चीन यात्रा पर पहुंचे हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की मानें तो दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर समझौते को लेकर अहम बातचीत होगी। अमेरिका ने परमाणु कार्यक्रमों के लिए ईरान पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में ईरान चीन के जरिए रास्ता तलाश करने की कोशिश में है।
इससे पहले एससीओ की बैठक में शी और रईसी की मुलाकात हुई थी। दोनों देशों के बीच में 25 साल की रणनीतिक साझेदारी को लेकर डील हुई है। वहीं मंगलवार को भी दोनों ही देशों ने द्विपक्षीय समझौते किए। रईसी के साथ उनके नए सेंट्रल बैंक गवर्नर भी पहुंचे थे। इसके अलावा कैबिनेट के 6 सदस्य भी हैं। आर्थिक, कच्चे तेल, विदेश नीति, व्यापार, शहरी विकास और कृषि को लेकर दोनों देशों में समझौते हुए हैं।
भारत के लिए क्यों मायने रखता है दौरा
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है। वहीं चीन रूस का समर्थन करता रहा है। रूस यूक्रेन पर हमले के लिए जिन ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा था वे ईरान से लिए गए थे। ऐसे में रूस – यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान चीन के ज्यादा करीब आ गया है। अमेरिका से अलग-थलग किए जाने की कोशिश में ईरान अपना नया पार्टनर तलाश रहा था। वहीं भारत और ईरान के बीच भी पुरानी दोस्ती है। भारत ईरान से कच्चा तेल आयात करता रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि अगर ईरान और चीन किसी संगठन को शक्ल देते हैं तो इसमें पाकिस्तान भी शामिल हो सकता है जो कि भारत के लिए बुरी खबर हो सकती है। अब इस चुनौती को साधने के लिए भारत को चीन को साधन होगा जो कि बहुत मुश्किल काम है।
दुनिया के लिए क्या हैं मायने
रईसी की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों के ही अमेरिका से संबंध खराब हैं। हाल ही में अमेरिका ने चीन के बलून मार गिराए। वहीं ताइवान के मुद्दे पर भी दोनों देशों में तनाव था। दोनों देशों के बीच यह दोस्ती भविष्य में सामरिक सहयोगी की ओर बढ़ेगी। ऐसे में दोनों ही मिलकर पश्चिमी देशों और अमेरिका को चुनौती दे सकते हैं। रईसी ने एक लेख लिखा जिसमें कहा है कि ईरान और चीन दोनों की ही मानना है कि दुनिया में संकट की प्रमुख वजय अन्यायपूर्ण प्रतिबंध हैं। चीन और ईरान के साथ आने से अमेरिका के प्रतिबंध बेअसर हो सकते हैं।
खाड़ी देशों से करीबी बढ़ा रहा चीन
चीन खाड़ी देशों पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। सऊती अरब भी पश्चिमी देशों और अमेरिका से कुछ दूर नजर आ रहा है। ऐसे में चीन अमेरिका की जगह लेने की कोशिश कर रहा है। हालांकि यह अभी संभव नहीं है। अमेरिका का रुख साफ है। वह ईरान के खिलाफ सऊदी अरब क के साथ है। लेकिन चीन दोनों ही देशों के खिलाफ नहीं है।
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