उज्जैन। शहर में सीवर लाईन डालने का काम टाटा कंपनी कर रही है और लेट होने के कारण उस पर करोड़ों रुपए का जुर्माना ठोका गया था लेकिन बड़ी राशि काटने का मामला भोपाल भेज दिया गया है जिससे वह लटक गया है। अधिकारियों की मेहरबानी के कारण ही टाटा कंपनी सुस्ती से काम कर रही है और उसका ठेका निरस्त नहीं किया जा रहा है। टाटा द्वारा सीवर लाइन डालने का काम विगत 3 वर्षों से चल रहा है। हर बार 6 माह का एक्सटेंशन देकर कार्य आगे बढ़ा दिया जाता है। अनुबंध के अनुसार टाटा की सीवर लाइन डालने का समय दिसंबर 2019 तक निर्धारित था लेकिन बाद में 6 से महीने बढ़ाते हुए इसे दिसंबर 2021 तक का कर दिया गया।
अब यह कहा जा रहा है कि जून 2022 तक टाटा का पूरा काम निपट जाएगा लेकिन अभी हाल यह है कि शहर में 60 प्रतिशत सीवर लाइन डालने का काम पूरा हुआ है। टाटा को 402 करोड़ रुपए का भुगतान नगर निगम को करना है, इसमें से अब तक नगर निगम 245 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है और इसमें से मात्र तीन करोड़ रुपए जुर्माने की राशि काटी गई है वहीं पिछले दिनों निगमायुक्त अंशुल गुप्ता ने इस कार्य का निरीक्षण किया था और प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माने की राशि काटने की बात कही थी। इसमें कुल मिलाकर करोड़ों रुपए की राशि काटनी थी और इसकी फाइल स्वीकृति के लिए भोपाल नगरी प्रशासन मंत्रालय में भेजी गई है, जो अभी तक स्वीकृत होकर नहीं लौटी है। ऐसे में यह बड़ा जुर्माना अब तक टाटा से नहीं लिया गया है वहीं टाटा कंपनी शहर में सीवर लाइन डाल तो रही है लेकिन बाद में जो सड़कें और चेंबर बनाए जा रहे हैं वह ऊंचे नीचे हंै और इनसे लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। आगर रोड जैसे हाईवे पर भी यह चेंबर ऊंचे नीचे बनाए गए हैं जिससे सड़क का लगभग 5 फीट का हिस्सा वाहनों के उपयोग में नहीं आता है। इन चेंबर को आज तक ठीक नहीं किया गया वहीं टाटा कंपनी द्वारा सीवर लाइन डालने के बाद सड़क बनाने का काम लोकल ठेकेदारों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर दिया जा रहा है और वह घटिया तरीके से काम कर रहे हैं और सड़क गुणवत्ता हीन बन रही है। इस सड़क को फिर से नगर निगम और एमपीआरडीसी को बनवाना पड़ेगा और टाटा अपना भुगतान लेकर चली जाएगी। जनप्रतिनिधियों ने भी इन चेंबरों को लेकर कुछ दिन तक आवाज उठाई और अब वे भी चुप हो गए जो संदिग्ध मामला है।
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