नई दिल्ली । कोविड-19 संबंधित चुनौतियां के बावजूद रेलवे ने पिछले वर्ष के मुकाबले न केवल अधिक माल ढुलाई की बल्कि मालगाड़ियों की औसत गति भी लगभग दोगुनी तक पहुंचा दी।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) विनोद कुमार यादव ने कहा कि मिशन मोड पर काम करते हुए भारतीय रेलवे ने कोविड-19 संबंधित चुनौतियां के बावजूद, पिछले वर्ष की तुलना में माल ढुलाई को आगे बढ़ाते हुए एक उपलब्धि हासिल की है। 27 जुलाई 2020 को माल लदान 3.13 मीट्रिक टन था जो कि पिछले वर्ष इसी तिथि की तुलना में ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन के दौरान दीर्घकालिक और दूरगामी लक्ष्यों की प्राप्ति पर बल दिया था। इसके परिणामस्वरूप, इस अवधि के दौरान रेलवे द्वारा लगभग 200 आधारभूत संरचनाओं के निर्माण का काम पूरा किया गया है। अब रेलवे द्वारा माल ढुलाई में भी मील का पत्थर प्राप्त कर लिया गया है।
यादव ने कहा कि 27 जुलाई 2020 को मालगाड़ियों की औसत गति 46.16 किमी प्रति घंटे मापी गई, जो कि पिछले वर्ष इसी तिथि की तुलना में (22.52 किमी प्रति घंटा) दोगुनी है। इस वर्ष जुलाई माह में, मालगाड़ियों की औसत गति 45.03 किमी प्रति घंटा रही है जो कि पिछले वर्ष इस माह की तुलना में लगभग दोगुनी है।
उन्होंने कहा कि 54.23 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ पश्चिम मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे 51 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ, पूर्व मध्य रेलवे 50.24 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ, पूर्व तट रेलवे 41.78 किमी प्रति घंटे औसत गति के साथ, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 42.83 किमी प्रति घंटे औसत गति के साथ, दक्षिण पूर्व रेलवे 43.24 किमी प्रति घंटे औसत गति के साथ और पश्चिम रेलवे 44.4 किमी प्रति घंटे औसत गति के साथ, भारतीय रेलवे में मालगाड़ियों की औसत गति वाले अग्रणी रेलवे मंडलों में शामिल हैं।
सीआरबी ने कहा कि 27 जुलाई, 2020 को, कुल माल लदान 3.13 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष इसी दिनांक की तुलना में ज्यादा है। 27 जुलाई 2020 को, भारतीय रेलवे की माल ढुलाई से भरे हुए कुल 1039 रेकों में से, खाद्यान्न के 76 रेक, उर्वरक के 67 रेक, इस्पात के 49 रेक, सीमेंट के 113 रेक, लौह अयस्क के 113 रेक और कोयले के 363 रैक शामिल रहे।
उन्होंने कहा कि माल ढुलाई में किए गए इन सुधारों को संस्थागत रूप दिया जाएगा और आने वाले समय में शून्य आधारित टाइम टेबल में शामिल किया जाएगा। इन उपायों के माध्यम से, माल ढुलाई और रेलवे की आय में बढ़ोत्तरी होगी और पूरे देश के लिए प्रतिस्पर्धी संचालन लागत में बहुत हद तक बढ़ोतरी होगी।
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