इंदौर। रियल इस्टेट से जुड़े स्थानीय कारोबारियों को शासन ने कुछ राहत दी है। 2035 के मास्टर प्लान की कवायद के चलते निवेश क्षेत्र में शामिल 79 गांवों में धारा 16 के तहत विकास अनुमतियों को देने के संबंध में शासन ने 13 जून को जो आदेश जारी किए थे उसमें दो महत्वपूर्ण प्रावधानों में इंदौरी कालोनाइजरों को राहत दे दी है, जिसमें अब 4 हेक्टेयर यानी अधिकतम 10 एकड़ से साथ-साथ 12 मीटर रोड की अनिवार्यता नहीं रहेगी। वहीं स्थानीय स्तर पर ही यानी नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय अभिन्यासों को मंजूरी दे सकेगा। अभी फाइल भोपाल भेजने की व्यवस्था कर रखी थी। इससे रूके पड़े अभिन्यासों को मंजूरी मिल सकेगी।
तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने भी आगामी मास्टर प्लान के मद्देनजर धारा 16 के प्रावधानों के लागू रहने तक अभिन्यासों की मंजूरी 79 गांवों में बंद करवा दी थी, जिसके चलते कई मंजूर अभिन्यासों पर अमल भी रूक गया था, क्योंकि शासन ने जहां पंचायत क्षेत्र में आश्रय शुल्क के प्रावधान को खत्म किया, वहीं 10 एकड़ जमीन की बाध्यता के साथ 12 मीटर सडक़ की चौड़ाई एप्रोच और कालोनी के अंदर से समायोजन के लिए अनिवार्य कर दी। चूंकि 79 निवेश क्षेत्र में शामिल कई गांव पंचायत सीमा में आते हैं, जिसके चलते 79 गांवों में जो अभिन्यास मंजूर हुए थे उनके क्रियान्वयन पर भी रोक लग गई थी।
मगर अभी प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग नीरज मंडलोई ने एक आदेश जारी किया, जिसमें दो शर्तों को विलोपित कर दिया है। नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 73 के अंतर्गत इंदौर में वृद्धित निवेश क्षेत्र के संबंध में अधिसूचना की धारा 16 के तहत जो विकास अनुज्ञाएं जारी करने के निर्देश जून में दिए गए थे उसमें धारा 16 लागू होने के पहले जिन प्रकरणों में जिला कार्यालय इंदौर द्वारा अभिमत जारी किए गए थे और ऐसे प्रकरण जो समय सीमा की अवधि के भीतर ही हैं उनमें ग्राम पंचायत नियमों के तहत ईडब्ल्यूएस और एलआईजी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करते हुए अभिन्यास में यथोचित संशोधन किया जा सकेगा और दो कंडिकाओं के प्रावधानों की पूर्ति आवश्यक नहीं रहेगी।
ये दो कंडिकाएं अधिकतम 4 हेक्टेयर यानी 10 एकड़ के साथ 12 मीटर की एप्रोच रोड के संबंध में थी। लेकिन अब चूंकि इन दोनों कंडिकाओं को विलोपित नए आदेश में कर दिया है, लिहाजा इंदौरी कालोनाइजरों को इससे बड़ी राहत मिल गई है और 79 गांवों में जो पूर्व में मंजूर अभिन्यास हो गए थे उनमें भी अब नए सिरे से स्थानीय कार्यालय यानी नगर तथा ग्राम निवेश इंदौर द्वारा ही इनकी मंजूरी जारी कर दी जाएगी और नए अभिन्यासों की मंजूरी भी इस आदेश के चलते हो सकेगी। हालांकि इस प्रावधान से कई कालोनाइजरों को फायदा भी होगा, जिनके प्रोजेक्ट रूके पड़े थे। कईयों ने तो डायरियों पर ही माल बेच रखा है, लेकिन आगे की किश्तें रूक गई थी। अब फिर से काम शुरू हो सकेंगे। वैसे प्रवासी सम्मेलन और समिट से पहले इंदौर के रियल इस्टेट कारोबारियों के लिए शासन द्वारा दी गई एक सौगात मानी जा रही है।
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