भोपाल। चुनावी साल (Election Year) में दोनों ही दल (कांग्रेस-बीजेपी) (Congress-BJP) मतदाता को लुभाने के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं। लेकिन इन घोषणाओं को पूरा करने में प्रदेश की अर्थव्यवस्था की हालत पतली हो जाएगी। अगर कांग्रेस और बीजेपी की चुनावी घोषणाओं को धरातल पर उतरता देखा जाए तो राज्य पर करीब 50 हजार करोड़ का बोझ पड़ता नजर आ रहा है। मुफ्त की रेवड़ी कल्चर की बात करने वाले दलों की घोषणाओं से राज्य और कर्ज के गहरे दलदल में समा जाएगा। आइए आपको बताते हैं कैसे चुनावी घोषणाओं (election announcements) को पूरा करने में राज्य की अर्थव्यवस्था होगी खराब।
कांग्रेस सरकार बनी तो क्या होगा असर
कांग्रेस ने 100 यूनिट बिजली तक मुफ्त बिजली और 100 यूनिट तक आधी कीमत पर बिजली देने, राज्य की सभी महिलाओं के लिए 1,500 रुपये मासिक भत्ता, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की वापसी और गैस देने का वादा किया है। सिर्फ 500 रुपये में सिलेंडर। अकेले महिला भत्ते पर सालाना 24,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बाल भत्ता वादा कांग्रेस राज्य के खर्च को 50,000 करोड़ रुपये से अधिक तक बढ़ा देगा।
जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने पिछले हफ्ते चुनावी सभा के दौरान एक करोड़ स्कूली बच्चों के लिए मासिक सहायता की घोषणा की, तो उन्होंने राज्य के संभावित खर्च में 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जोड़ दिए, जिससे कांग्रेस के विभिन्न वादों का मूल्य 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
अगर बीजेपी ने की वापसी तब क्या होंगे हाल
अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता बरकरार रखती है तो स्थिति कोई अलग नहीं होगी। अन्य चुनावी राज्यों के विपरीत, शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने मध्य प्रदेश में भी मुफ्त सुविधाएं शुरू की हैं, जिनकी लागत भी 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। सबसे बड़ी योजना सीएम लाडली बहना योजना है, जिसमें अब तक 1.32 करोड़ महिलाओं को 1,250 रुपये प्रति माह के हिसाब से 1,650 करोड़ रुपये प्रति माह यानी लगभग 20,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का भुगतान किया जाता है। सीएम ने इस राशि को 3,000 रुपये प्रति माह तक ले जाने का वादा किया है, जिसका मतलब है कि अकेले इस योजना पर अंततः 47,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च हो सकता है।
मुख्यमंत्री 450 रुपये प्रति माह पर एलपीजी सिलेंडर भी दे रहे हैं और राज्य की ओर से किसानों के लिए पीएम किसान निधि योजना में इतनी ही राशि के 6,000 रुपये प्रति वर्ष जोड़े हैं। वास्तव में, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही मध्य प्रदेश में चुनावी मुफ्त सुविधाओं की घोषणा करने की होड़ में हैं, जिनमें से प्रत्येक एक-दूसरे से बराबरी करने और मतदाताओं को लुभाने के लिए उत्सुक हैं। आपको बता दें कि एमपी का 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटा 55,708 करोड़ रुपये का लक्ष्य है, जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 4% है
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