इंदौर न्यूज़ (Indore News)

होटल की जगह अवैध सीएचएल हॉस्पिटल का फ्री होल्ड घोटाला जांच में सही निकला

  • अग्निबाण का एक और भंडाफोड़ सही साबित… आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में उजागर हुई गड़बडिय़ां
  • फर्जी फ्री होल्ड कराकर मारू-भार्गव ने हैदराबाद के केयर समूह को 300 करोड़ की टोपी पहनाई
  • हाउसिंग बोर्ड के साथ सांठगांठ उजागर… अब जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज

इंदौर, राजेश ज्वेल। एलआईजी चौराहा (LIG Chauraha) पर स्थित चर्चित और विवादित रहे सीएचएल हॉस्पिटल को लेकर अग्निबाण ने जो कई खुलासे किए, उसमें हाउसिंग बोर्ड द्वारा किया गया फ्री होल्ड घोटाला (hold scam) भी शामिल रहा। हाउसिंग बोर्ड ने लीज पर होटल के लिए दिए गए भवन और भूखंड की जगह अवैध रूप से हॉस्पिटल चलाने वाले सीएचएल को न सिर्फ फ्री होल्ड कर दिया, बल्कि 300 करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा भी अवैध तरीके से कमवा दिया। हैदराबाद के केयर समूह को कुछ समय पूर्व ही सीएचएल के कर्ताधर्ताओं ने यह हॉस्पिटल बेच डाला। अग्निबाण द्वारा पिछले दिनों उजागर किए गए इस घोटाले के बाद हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन आयुक्त द्वारा इंदौर स्थित दफ्तर से इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी गई, जो पिछले दिनों तैयार कर भोपाल भेजी गई, जिसमें फ्री होल्ड घोटाले को हाउसिंग बोर्ड ने अपनी जांच में सही माना। अब आयुक्त हाउसिंग बोर्ड को इस जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करना है, जिसमें दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिरने के साथ-साथ संभव है कि फ्री होल्ड के आदेश को भी पलट दिया जाए, क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया के लिए निर्धारित सक्षम स्वीकृति भी हासिल नहीं की गई और स्थानीय वृत्त कार्यालय द्वारा अपने स्तर पर ही इस बड़े खेल को अंजाम दे दिया गया। आयुक्त हाउसिंग बोर्ड ने 5 बिन्दुओं पर यह जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसे अब उपायुक्त ने तैयार करवाकर भोपाल भेजा है।

हाउसिंग बोर्ड ने 1970 में एबी रोड पर एलआईजी चौराहा के पास होटल सुहाग का निर्माण किया था। बाद में घाटे में चलने के कारण 1986 में इस होटल को बंजारा लिमिटेड के डायरेक्टर राधेश्याम अग्रवाल को 30 साल की लीज यानी किराए पर दे डाला, लेकिन इसकी शर्त कंडिका 7 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि उक्त भूमि और भवन में केवल होटल व्यवसाय का संचालन किया जा सकेगा। नतीजतन होटल बंजारा लिमिटेड ने इस शर्त का पालन करते हुए होटल इंडोटेल के नाम से ही नया बिजनेस शुरू किया, मगर आर्थिक संकट के चलते यह समूह भी होटल चला नहीं पाया और फिर बाद में इसका संचालन 1999 में कन्वेनिएंट होटल्स लिमिटेड को चला गया, लेकिन लीज शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और होटल व्यवसाय चलाने के लिए ही हाउसिंग बोर्ड ने कन्वेनिएंट होटल्स लिमिटेड के नाम से ही नामांतरण भी किया, जिसके डायरेक्टर डॉ. राजेश जैन थे और उन्हीं के हस्ताक्षर भी हैं।


मगर बाद में होशियारी से कन्वेनिएंट होटल्स लिमिटेड से कन्वेनिएंट हॉस्पिटल लिमिटेड नाम करते हुए होटल के बजाय सीएचएल हॉस्पिटल का संचालन शुरू कर डाला और इस दौरान हुई शिकायतों को बोर्ड डस्टबिन में डालता रहा। यहां तक कि आंतरिक परिवर्तन और अतिरिक्त निर्माण की सहमति भी दे डाली और फिर कुछ वर्ष पूर्व जब हाउसिंग बोर्ड ने 20.01.2015 के अपने मुख्यालय द्वारा जारी सर्कुलर के आधार पर लीज की सम्पत्तियों को सशर्त फ्री होल्ड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू की तो सीएचएल के चालाक कर्ताधर्ताओं ने इसका भी फायदा उठा लिया। हाउसिंग बोर्ड में सांठगांठ कर होटल की जगह हॉस्पिटल संचालित हो रही अवैध सम्पत्ति को फ्री होल्ड करने का आवेदन दिया और हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने उसे न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि कलेक्टर गाइड लाइन के आधार पर डेढ़ फीसदी भूखंड राशि के आधार पर 85 लाख 65 हजार 180 रुपए जमा करवाकर कन्वेनिएंट हॉस्पिटल लिमिटेड को फ्री होल्ड की अवैध अनुमति दे डाली। जबकि नियमानुसार होटल की जगह चल रहे हॉस्पिटल की सम्पत्ति को फ्री होल्ड करने के बजाय बेदखली का नोटिस जारी किया जाना था। 85 लाख 65 हजार की राशि जमा करवाकर सीएचएल के कर्ताधर्ताओं ने 300 करोड़ रुपए से अधिक में इस हॉस्पिटल को केयर समूह को पिछले दिनों बेच डाला।

होटल को लीज यानी किराए पर दिया भवन… हास्पिटल चलाने पर भी फ्री होल्ड कर डाला
इस घोटाले की खबर के अग्निबाण में प्रकाशन के बाद हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन आयुक्त भोपाल ने उपायुक्त इंदौर संभाग से जांच प्रतिवेदन मांगा। 22 जून 2022 को आयुक्त ने 5 बिंदुओं के आधार पर इस पूरे घोटाले की जानकारी मांगी थी। आयुक्त ने अपने पत्र में ही स्पष्ट लिखा कि सम्पदा अधिकारी द्वारा जो दस्तावेज बताए गए उससे स्पष्ट है कि उपपंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री कन्वेनिएंट होटल के पक्ष में हुई और मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल ने सम्पत्ति का हस्ताक्षर भी कन्वेनिएंट होटल के पक्ष में किया, लेकिन सम्पत्ति अधिकारी संभाग इंदौर द्वारा उपायुक्त वृत्त इंदौर को जो प्रस्ताव फ्री होल्ड के संबंध में भेजा उसमें स्वीकृति कन्वेनिएंट हॉस्पिटल के पक्ष में कर दी गई। इतना ही नहीं, नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा मंडल की अनुमति की प्रत्याषा में उक्त भवन को होटल उपयोग के स्थान पर हॉस्पिटल प्रयोजन उपयोग की अनुमति दी गई।

यानी यह भी स्पष्ट है कि नगर तथा ग्राम निवेश ने विधिवत अनुमति नहीं दी और उसकी प्रत्याषा में हाउसिंग बोर्ड ने सीएचएल हॉस्पिटल के कर्ताधर्ताओं के साथ संगनमत होकर अवैध हॉस्पिटल को फ्री होल्ड करवा डाला। आयुक्त ने इस बात को भी स्वीकारा कि 12 नवंबर 1986 की लीज डीड के पैरा 7 में स्पष्ट उल्लेख है कि भूमि और भवन का उपयोग होटल व्यवसाय के लिए ही किया जाएगा। जबकि 23 दिसंबर 2000 के लीज अनुबंध में भूमि उपयोग की शर्त परिवर्तित कर दी गई। इतना ही नहीं, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने अपने 23.04.2001 के हाउसिंग बोर्ड को लिखे पत्र में भी कहा कि होटल के स्थान पर हॉस्पिटल उपयोग की अनुमति हाउसिंग बोर्ड से ही प्राप्त करना आवश्यक है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने बिना विधिवत और सक्षम स्वीकृति के अपने स्तर पर ही होटल के स्थान पर हॉस्पिटल उपयोग के चलते सम्पत्ति को फ्री होल्ड कर डाला। मजे की बात यह है कि हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री ने 14.05.2001 को डायरेक्टर कन्वेनिएंट हॉस्पिटल को अतिरिक्त निर्माण कार्य की जो एनओसी जारी की उसमें सुहाग होटल का भी उल्लेख किया, लेकिन निर्माण की अनुमति कन्वेनिएंट होटल को जारी कर दी गई। इसी तरह 16.05.2001 को भारमुक्ति प्रमाण-पत्र भी डायरेक्टर कन्वेनिएंट हॉस्पिटल के नाम से जारी किया गया। सम्पदा अधिकारी द्वारा भेजी गई इस जांच रिपोर्ट के आधार पर अब वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौलि शुक्ला को निर्णय लेना है। दरअसल पिछले ही दिनों उनका तबादला इस पद पर हुआ है। शुक्ला के मुताबिक जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जाएगी।

फ्री होल्ड स्क्वेयर फीट में… संशोधन कराकर स्क्वेयर मीटर कर लिया
हाउसिंग बोर्ड ने घोटाले में घोटाला कर डाला। फ्री होल्ड पंजीयन का जो दस्तावेज 30.03.2015 को पंजीकृत कराया गया उसमें क्षेत्रफल 4683.54 स्क्वेयर फीट लिखा गया। बाद में एक संशोधन प्रस्तुत करते हुए इस स्क्वेयर फीट की जगह उतने ही आकार यानी 4683.54 को वर्गमीटर किए जाने का संशोधन किया गया, जिसके चलते यह भी शंका है कि हाउसिंग बोर्ड ने कलेक्टर गाइड लाइन से राशि वर्गफीट के आधार पर जमा करवाई, जबकि बाद में उसे होशियारी से वर्गमीटर में परिवर्तित कर हाउसिंग बोर्ड को तगड़ा आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया गया।

हैदराबाद के केयर समूह को अंधेरे में रख बेच भी डाला
सीएचएल हॉस्पिटल के कर्ताधर्ताओं ने हाउसिंग बोर्ड के साथ संगनमत होकर अवैध फ्री होल्ड की डील तो की ही, वहीं दूसरी तरफ उसके बगल में आवासीय अनुमति पर पूर्ण कैंसर हॉस्पिटल भी तान लिया, जिसका भंडाफोड़ भी अग्निबाण ने किया और आज तक नगर निगम इसे वैध नहीं कर सका है। दूसरी तरफ सीएचएल के कर्ताधर्ताओं ने हैदराबाद के जाने-माने केयर समूह को भी टोपी पहना दी और उन्हें अंधेरे में रखकर 340 करोड़ में हॉस्पिटल बेच डाला। यहां तक कि योजना 114 में प्राधिकरण के डिस्पेंसरी उपयोग के भूखंड पर भी विशाल अवैध हॉस्पिटल बना लिया। उस पर प्राधिकरण को भी लीज शर्तों के उल्लंघन की कार्रवाई करना है।

प्रेस कॉम्प्लेक्स में तो लीज शर्तों के उल्लंघन में हो गई कार्रवाई भी
इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा भी लीज पर दिए गए भूखंडों को फ्री होल्ड किया जा रहा है, मगर उसके पहले मौके पर चल रहे वर्तमान उपयोग की जांच कराई जाती है और इसी आधार पर पिछले दिनों प्रेस कॉम्प्लेक्स में नोटिस देने से लेकर कुछ भूखंडों की लीज निरस्ती की कार्रवाई भी की गई। हालांकि ये प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है। प्राधिकरण ने इसी तरह चाय-किराना व्यापारियों से लेकर होटल सयाजी सहित अन्य मामलों में भी लीज शर्तों के उल्लंघन पर कार्रवाई की है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने लीज शर्तों के उल्लंघन पर बेदखली के नोटिस जारी करने के बजाय सीएचएल के कर्ताधर्ताओं को फ्री होल्ड कर 300 करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा कमवा डाला।

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