उज्जैन। इन दिनों गर्भवती और प्रसूता महिलाओं के साथ कुछ लोगों द्वारा धोखाधड़ी करने की शिकायत पुलिस की जानकारी में आई है। धोखेबाज फोन कर संबंधित के बारे में व्यक्तिगत व बैंक खाते की जानकारी हासिल कर लेते हैं और शासन से मिलने वाली सरकारी मदद हड़प कर जाते हैं। पुलिस ने सावधान रहने की सलाह दी है।
आंगनवाड़ी में पंजीकृत गर्भवती महिला के बारे में जालसाज खुद को सरकारी महकमे का कर्मचारी बताकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से जानकारी हासिल करते हैं। फिर वे संबंधित महिला को फोन कर उसके बारे में भी जानकारी हासिल कर लेते हैं। बैंक अकाउंट व अन्य जानकारी हासिल कर वे संबंधित महिला को मिलने वाली सरकारी मदद अन्य खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। घटना की जानकारी महिलाओं को तब लगती है जब लंबे समय तक अनुदान राशि नहीं मिलने पर वे इसकी पड़ताल करते हैं।
इन रुपयों पर बदमाशों की नजर
गर्भवती महिला को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि तीन किश्तों में मिलती है। आंगनबाड़ी केन्द्र में जरूरी दस्तावेज के साथ पंजीयन के बाद गर्भवती को पहली किश्त मिलती है। छह महीने पूरे होने के बाद दूसरी किश्त और संतान जन्म होने के बाद टीकाकरण व जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर तीसरी किश्त मिलती है। सरकारी अस्पताल में प्रसूति के लिए प्रेरित करने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को भी शासन पुरस्कार राशि देती है। जिस पर बदमाशों की नजर रहती है।
पुलिस द्वारा यह सावधानी बरतने की सलाह
पंजीयन के नाम पर भी ले लेते हैं रुपये
पुलिस सूत्रों के मुताबिक सायबर फ्राड करने वालों द्वारा अलग-अलग मोबाईल नंबरो से काँल कर खुद को स्वास्थ्य विभाग या आँगनवाड़ी का बताकर गर्भवती महिला, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता को उनके नाम.पते और उनको शासन से मिलने वाले राशि की सटिक जानकारी बताई जाती है। जिससे उन्हें काँल करने वाले पर विश्वास हो जाता है। तब जालसाज महिला के मोबाईल पर फोन-पे/गुगल-पे की रिक्वेस्ट भेजकर पे वाले आप्शन पर क्लिक करवा लेता है। जिससे महिला के खाते से राशि कटकर फ्रॉड करने वाले के खाते में ट्रांसफर हो जाती है। कभी-कभी जालसाज एक लिंक भेजकर उस पर क्लिक करने का बोलकर मोबाईल फोन भी हैक कर लेते हैं ओर बाद में महिला के खाते से राशि आन-लाईन ट्रासफर कर लेते हैं। एएसपी जयंत राठौर ने बताया कि इस धोखेबाजी से बचने के लिए प्रसूताएँ अपने खाते का नंबर को किसी को न बताएँ।
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