इंदौर। प्रदेश में लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था ऑनलाइन किए जाने के बाद से आवेदकों के बजाए एजेंट ही टेस्ट देकर लाइसेंस बनाने का काम कर रहे हैं। इसे देखते हुए अब परिवहन विभाग व्यवस्था को बदलने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत अब लर्निंग लाइसेंस टेस्ट के दौरान आवेदक की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए परिवहन विभाग बायोमैट्रिक या वेबकेम की व्यवस्था को अनिवार्य करने की तैयारी कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब ढाई साल पहले केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा लाइसेंस की व्यवस्था को सेंट्रल सर्वर ‘सारथी’ से जोड़ा गया था। इसके तहत आवेदकों को लर्निंग लाइसेंस टेस्ट के लिए आरटीओ आने की अनिवार्यता को खत्म करने के साथ ही ऑनलाइन टेस्ट की व्यवस्था शुरू की गई थी। इस व्यवस्था की शुरुआत से ही आवेदकों के स्थान पर एजेंट और एमपी ऑनलाइन संचालक पैसे लेकर खुद टेस्ट देकर आवेदकों को लर्निंग लाइसेंस बनाकर दे देते हैं। आवेदकों को सिर्फ अपने आधार से लिंक मोबाइल पर आए ओटीपी को उनसे शेयर करना होता है। शुरुआत से ही इस व्यवस्था को लेकर फर्जीवाड़े की बातें सामने आ रही हैं।
इसे देखते हुए परिवहन विभाग अब यह सुनिश्चित करने की तैयारी कर रहा है कि आवेदक ही टेस्ट दे, न कि उसके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति। आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि इसे लेकर मुख्यालय स्तर पर सारथी पोर्टल पर अपडेशन की तैयारी की जा रही है। इसमें यह व्यवस्था की जा रही है कि टेस्ट के समय आवेदक मौजूद है इस बात को चेक किया जाएगा। इसके लिए या तो टेस्ट के वक्त उसके बायोमैट्रिक लिए जाएंगे या वेबकेम को शुरू किया जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि आवेदक द्वारा ही टेस्ट दिया जा रहा है।
बायोमैट्रिक शुरू होने पर घर बैठे नहीं बन पाएंगे लाइसेंस
विशेषज्ञों के अनुसार परिवहन विभाग द्वारा की जा रही यह व्यवस्था अच्छी है और इसे जल्द लागू किए जाने की जरूरत है। हालांकि अगर इस व्यवस्था में बायमैट्रिक टेस्ट जैस फिंगरप्रिंट या आंखों की पुतलियों से जांच को सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था की जाती है तो विभाग द्वारा घर बैठे लर्निंग लाइसेंस जारी किए जाने की बातें जारी नहीं रह पाएंगी, क्योंकि इन टेस्ट के लिए जरूरी उपकरण सिर्फ एमपी ऑनलाइन सेंटर्स पर ही उपलब्ध होते हैं। ऐसी स्थिति में वेबकेम की व्यवस्था ज्यादा बेहतर मानी जा रही है।
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