डेस्क: ओलंपिक 2024 का आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक फ्रांस के पेरिस में किया जाएगा. दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता के लिए करीब 206 देशों के खिलाड़ी अलग अलग खेलों में हिस्सा लेंगे. इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने जानकारी दी है कि इस साल अफगानिस्तान के 6 खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा लेंगे, कमेटी ने बताया कि ये 6 खिलाड़ी जेंडर इक्विल यानी 3 महिला और 3 पुरुष होंगे.
गुरुवार को इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने कहा, “अफगानिस्तान पेरिस 2024 ओलंपिक में तीन महिलाओं और तीन पुरुषों के साथ एक लैंगिक समानता वाली टीम को उतारेगा, जो काफी हद तक प्रतीकात्मक कदम है.”
साथ ही बयान में ये भी कहा गया है कि किसी भी तालिबान अधिकारी को खेलों में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. ओलंपिक कमेटी ने ये भी कहा कि लैंगिक समानता वाली टीम उतारना अफगानिस्तान के लिए एक संदेश है, जहां तालिबान महिलाओं और लड़कियों को खेल और जिम से दूर कर रहा है.
IOC से मान्यता प्राप्त अफगानिस्तान की नेशनल ओलंपिक कमेटी (NOC) के चीफ और जनरल सेक्रेटरी दोनों ही तालिबान शासन के बाद से ही निर्वासन में हैं. ओलंपिक कमेटी के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम पिछले कुछ समय से अफगान NOC के चीफ और जनरल सेक्रेटरी के साथ काम कर रहे हैं, जो अभी निर्वासन (Exile) में हैं. हमने यह साफ किया था कि हम एक लैंगिक समानता वाली टीम चाहते हैं और NOC ने हमारी मांग मानी है.”
उन्होंने कहा, “हमारा पेरिस ओलंपिक में अफगान टीमों को जेंडर इक्विलिटी के मुताबिक उतारने का मकसद अफगानिस्तान और बाकी दुनिया के सामने महिला अधिकारों के हनन पर प्रदर्शन करना है.”
तालिबान अपने ऊपर लगने वाले आरोपों पर कहता आया है कि वे इस्लामिक कानून और स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुरूप महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं. अगस्त 2021 में तालिबान ने सत्ता में आने के बाद से लड़कियों के हाई स्कूल बंद कर दिए हैं, पुरुष गार्जन के बिना महिलाओं की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और पार्कों और जिम में भी महिलाओं पर पाबंदियां लगाई हैं.
तालिबान के पुराने शासन के वक्त OIC ने 1999 में अफगानिस्तान की NOC को निलंबित कर 2000 के सिडनी खेलों से बैन कर दिया था. 2001 में तालिबान के पतन के बाद अफगानिस्तान को फिर से ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका दिया गया था.
UNICEF ने गुरुवार को कहा कि अफगान लड़कियों की स्कूल जाने से रोक को आज एक हजार दिन हो गए हैं. UN एजेंसी की एक्टिंग डायरेक्टर कैथरीन रसेल ने कहा, “1.5 मिलियन लड़कियों के लिए, ये पाबंदी न सिर्फ उनकी शिक्षा के अधिकार का घोर उल्लंघन है, बल्कि इसकी वजह से महिलाओं के आगे बढ़ने के अवसर कम होते जा रहे हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. बच्चों, खासकर लड़कियों के अधिकारों को राजनीति का बंधक नहीं बनाया जा सकता. अफगान लड़कियों का जीवन, भविष्य, उम्मीदें और सपने अधर में लटके हुए हैं.”
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved