नई दिल्ली । फ्रांस (France) की सर्वोच्च अदालत (supreme court) ने पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी (Nicolas Sarkozy) को भ्रष्टाचार (Corruption) और प्रभाव के दुरुपयोग के मामले में दोषी ठहराते हुए उनकी एक साल की जेल की सजा (Prison sentence) को बरकरार रखा है. कोर्ट ऑफ कसेशन ने बुधवार को इस मामले पर अपना अंतिम फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया, ‘सजा और दोष अब अंतिम हैं.’
69 वर्षीय सरकोजी पर आरोप था कि उन्होंने 2014 में एक मजिस्ट्रेट को घूस देने की कोशिश की थी. उन्होंने मजिस्ट्रेट गिल्बर्ट अजिबर्ट को मोनाको में एक आकर्षक पद दिलाने का वादा किया था, बदले में वह एक अन्य कानूनी मामले की जानकारी चाहते थे जिसमें वह खुद आरोपी थे. हालांकि, अजिबर्ट को वह पद नहीं मिला और वह मामला भी खत्म हो गया. फिर भी फ्रांसीसी कानून के तहत यह प्रस्ताव भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत आता है.
सरकोजी को 2021 में पेरिस कोर्ट और 2023 में अपील कोर्ट ने इस मामले में दोषी करार दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उनकी एक साल की जेल की सजा तय हो गई है. हालांकि, दो साल या उससे कम की सजा के मामलों में आरोपी को घर पर इलेक्ट्रॉनिक ब्रैसलेट के साथ रहने की अनुमति मिलती है, और सरकोजी भी यही विकल्प अपनाएंगे.
सरकोजी, जो 2007 से 2012 तक फ्रांस के राष्ट्रपति रहे, 2017 में सार्वजनिक जीवन से रिटायर हो गए थे. उन्होंने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मैं अपनी जिम्मेदारियां निभाऊंगा और परिणामों का सामना करूंगा. लेकिन मैं इस गहरे अन्याय को स्वीकार नहीं कर सकता.’ उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह इस मामले को यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में ले जाएंगे.
यह फ्रांस के आधुनिक इतिहास में पहली बार है जब किसी पूर्व राष्ट्रपति को उनके कार्यकाल के दौरान किए गए कृत्यों के लिए दोषी ठहराया गया और जेल की सजा सुनाई गई है.
सरकोजी अगले महीने एक और मुकदमे का सामना करेंगे, जिसमें उन पर लीबिया के पूर्व तानाशाह मोआमार गद्दाफी से अपनी 2007 की चुनावी कैंपेन के लिए अवैध धन लेने का आरोप है.
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