पेरिस । बीते दिनों इस्लाम धर्म को लेकर हुए बवाल से सबक लेकर फ्रांस को कट्टर पंथी ‘इस्लामिक आंतकवाद’ से बचाने के लिए सरकार ने संसद में एक नया विधेयक पेश किया है जिसके तहत देश में कोई मदरसा नहीं होगा। यहां तक कि मस्जिदों का उपयोग भी केवल प्रार्थना के लिए ही किया जा सकेगा। साथ ही सभी मस्जिदों को सरकार से पंजीकृत कराना होगा। हालांकि इस विधेयक में सीधे तौर पर इस्लाम या मुस्लिमों का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि संसद में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान हंगामा होगा।
नए विधेयक में कई कड़े प्रावधान किये गए हैं जिसमें कहा गया है कि एक से अधिक शादी करने वाले व्यक्ति को नागरिकता कार्ड नहीं दिया जाएगा। महिलाओं और बच्चों के लिए कोई अगल स्विमिंग पूल नहीं होगा। नए विधेयक के तहत किसी भी धार्मिक वित्त पोषण के लिए 10 हजार यूरो से अधिक की अनुमित नहीं दी जा सकेगी। इसी तरह धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने वालों को 3 साल की जेल होगी। साथ ही तीन साल के बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य होगा। कहा जा रहा है कि यह विधेयक पास होने के बाद फ्रांस का संविधान किसी भी धर्म पर आधारित नहीं होगा।
आंतरिक मामलों के मंत्री जेराल्ड डरमेनिन ने कहा है कि राष्ट्रपति इम्मैन्युअल मैक्रों ने उनसे ईसाई-विरोधी, यहूदी-विरोधी और मुस्लिम-विरोधी कानूनों से लड़ने के लिए संसदीय मिशन तैयार करने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों इस्लामोफोबिया को लेकर विवाद हुआ था। साथ ही पैगंबर मुहम्मद के कार्टूनों को रोकने की मांग भी उठी थी। दरअसल फ्रांस में बीते 16 अक्टूबर को 47 साल के एक शिक्षक की स्कूल के बाहर हत्या कर दी गई थी। जब मारे गए शिक्षक को श्रद्धांजलि देने राष्ट्रपति मैक्रों पहुंचे तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि फ्रांस पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों को नहीं रोकेगा और फ्रांस का भविष्य कभी इस्लामवादियों के पास नहीं होगा। इसके बाद दुनिया के कई मुस्लिम देशों में फ्रांस के खिलाफ नाराजगी थी।
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