भोपाल। प्रदेश में 10 साल बाद सहकारी संस्थाओं में चुनाव कराने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राज्य शासन ने हाल ही में लंबे समय से रिक्त राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी के पद पर नियुक्ति की है। इस नियुक्ति के साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय से पहले सहकारिता के चुनाव हो सकते हैं। प्रदेश में सभी सहकारी संस्थाओं पर प्रशासक बैठें। सहकारी क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि सरकार अगले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में सहकारिता मे आगे बढऩा चाहती है। सहकारिता के माध्यम से भाजपा गांव-गांव में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह भी सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने के पक्षधर हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार की मंशा सहकारिता के चुनाव मई में कराने की है। निर्वाचन प्राधिकारी की नियुक्ति के साथ ही संस्थाओं की सदस्यता सूची को अंतिम रूप देकर चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कराई जाएगी। प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव दस साल से नहीं हुए हैं। नए काम शुरू नहीं कर पा रहीं समितियां नियमानुसार समितियों के चुनाव पांच साल में होते हैं। इसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व प्रारंभ हो जाती है। लेकिन 2012 के बाद से अब तक चुनाव नहीं हो पाए हैं। इसके कारण समितियां नए काम प्रारंभ नहीं कर पा रही हैं। सामान्य कामकाज के संचालन के लिए सहकारिता विभाग के अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया है।
जल्द ही शुरू होगी चुनाव प्रक्रिया
सहकारी अधिनियम के अनुसार चुनाव कराने की संपूर्ण जिम्मेदारी निर्वाचन प्राधिकारी की है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिक स्तर की समितियों का संचालक मंडल बनने के बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के चुनाव होंगे। जिला बैंकों के चुनाव के बाद अपेक्स बैंक (राज्य सहकारी बैंक) के चुनाव होंगे। इसके साथ ही अखिल भारतीय सहकारी संस्थाओं में मध्य प्रदेश से प्रतिनिधि का चयन करके भी भेजा जाएगा। साख सहकारी समिति के साथ-साथ उपभोक्ता, विपणन संघ, आवास संघ सहित अन्य सहकारी संस्थाओं के चुनाव की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जाएगी।
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