इंदौर। 2018 के विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची के कई वार्डों के टुकड़े कर उन्हें एक से दूसरे वार्ड में जोड़ दिया गया है। एक-एक विधानसभा में आयोग ने करीब 100 बूथ भी कम कर डाले। इसके पीछे मतदाताओं की संख्या कम होने का कारण हो सकता है, लेकिन भाजपा के बूथ विस्तारक अभियान में इसको लेकर एक बड़ी समस्या आ रही है। इसमें कई वार्डों के बूथों से संयोजक ही गायब हो गए हैं तो कहीं-कहीं 2 से 3 संयोजक हो गए हैं। अब भाजपा के विधानसभा प्रभारी और मंडल प्रभारियों के सामने समस्या खड़ी हो गई है कि वे किससे काम करवाएं?
निर्वाचन आयोग समय-समय पर मतदाताओं का पुनरीक्षण करते रहता है और मतदाताओं की संख्या के मान से बूथों की संख्या कम या ज्यादा भी कर सकता है, लेकिन 2018 के बाद जब 2022 के आधार पर सूची जारी की गई तो इसमें अधिकांश मतदान केन्द्र कम मिले हैं। कल भाजपा कार्यालय पर बूथ विस्तारक योजना को लेकर विधानसभा प्रभारियों और मंडल प्रभारियों की बैठक रखी गई थी। बैठक में संगठन प्रभारी तेजबहादुरसिंह भी मौजूद थे। उनके सामने प्रभारियों ने बताया कि आयोग ने हर विधानसभा क्षेत्र में कई मतदान केन्द्र कम कर दिए हैं तो कई के टुकड़े कर उनके मदाताओं को दूसरे मतदान केन्द्र में जोड़ दिया है। इससे बूथ पर संयोजक और अध्यक्षों की जो नियुक्ति संगठनात्मक तौर पर की गई थी, उसका ढांचा बिगड़ गया है। उदाहारण के लिए एक वार्ड में 14 बूथ थे तो वहां के 3 बूथों को दूसरे वार्ड में जोड़ दिया गया। इससे वे 3 बूथ नंबर से जाने जाने लगे और इन 3 बूथों पर भाजपा द्वारा नियुक्त किए गए बूथ संयोजक व उनकी टीम स्वत: ही समाप्त हो गई, वहीं जो बूथ दूसरे वार्ड में शामिल किए गए हैं, वहां संगठन को नई टीम बनाकर काम करना होगा। यह समस्या लगभग हर विधानसभा प्रभारी ने बताई और कहा कि ऐसे में काम करने में परेशानी आ रही है। बताया जा रहा है कि इंदौर के शहरी क्षेत्र की विधानसभाओं में कुल 2274 बूथ थे, जिसे अब 1854 कर दिया गया है।
2023 को लेकर कर रहे हैं काम
भाजपा संगठन द्वारा बूथ विस्तारक योजना के तहत जो काम दिया गया है, वह आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दिया गया है, जो 2023 में होना है। संगठन का मानना है कि इसके पहले संगठन का आंतरिक ताना-बाना पूरा हो जाना चाहिए, लेकिन मतदान केन्द्रों को इधर से उधर करने और वार्ड के टुकड़ों को लेकर एक नई समस्या सामने आ गई है, जिससे विस्तारकों को पहले जिन बूथों पर संयोजक और उनकी टीम नहीं है, उसे बनाना होगा। उसके बाद ही विस्तारक योजना के तहत अन्य पदाधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा।
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