नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPO) ने चालू महीने के पहले तीन हफ्ते में 44,481करोड़ रुपये शेयर बाजार में निवेश किया है। अमेरिका में महंगाई दर कम होने और डॉलर इंडेक्स में गिरावट से ऐसा हुआ है। इससे पहले जुलाई में इन निवेशकों ने 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
अक्तूबर, 2021 से जून, 2022 के बीच इन निवेशकों ने भारतीय बाजार से 2.46 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी। इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई थी। जबकि अगस्त महीने में निवेशकों की वापसी से बाजार में तेजी आई है और साढ़े चार महीने बाद सेंसेक्स 60 हजार के पार पहुंच गया था।
निवेश में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च के रिटेल प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि विदेशी निवेशकों का निवेश आगे उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है। हालांकि, मौद्रिक नीतियों के कठोर होने, बढ़ती महंगाई की चिंता के कमजोर होने और पहली तिमाही में कंपनियों के अच्छे नतीजे से उभरते हुए बाजारों में ये निवेशक बने रहेंगे।
डॉलर इंडेक्स पर रहेगी नजर
विदेशी निवेशकों की खरीदी डॉलर इंडेक्स के आधार पर होगी। डॉलर इंडेक्स जुलाई में 109 से गिरकर अगस्त में 105 पर आ गया है। हालांकि 19 अगस्त को यह 107 के पार चला गया था। अगर ऊपर जाने का रुझान बना रहा तो फिर विदेशी निवेशकों पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
डेट म्यूचुअल फंड से 70,000 करोड़ की निकासी
डेट म्यूचुअल फंड से निवेशकों ने अप्रैल-जून तिमाही में 70,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। मार्च तिमाही में डेट फंड का असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 13 लाख करोड़ रुपये था जो जून तिमाही में घटकर 12.35 लाख करोड़ रुपये हो गया।
महंगाई की ऊंची दर और ब्याज दरों के बढ़ने से ऐसा हुआ है। यह लगातार तीसरी तिमाही है, जिसमें डेट फंड से निकासी हुई है। हालांकि, अप्रैल महीने में इसमें 54,756 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था, पर मई और जून में इसमें से 32,722 और 92,242 करोड़ रुपये की निकासी की गई।
शीर्ष 10 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 30,737 करोड़ घटा
शेयर बाजार की शीर्ष 10 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में पिछले हफ्ते 30,737 करोड़ रुपये की कमी आई थी। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे ज्यादा 12,883 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। उसके बाद टीसीएस, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और बजाज फाइनेंस रहे। दूसरी ओर, एचयूएल, एचडीएफसी बैंक, एलआईसी और एचडीएफसी लि के बाजार पूंजीकरण में बढ़त आई खथी।
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